
समाचार सच, देहरादून। शिक्षक दिवस के मौके पर राजधानी का राजभवन गुरुघर की तरह रौशन रहा जनरल गुरमीत सिंह के सानिध्य में आयोजित शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार समारोह में साल 2024 के 16 सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी कार्यक्रम की गरिमा बने रहे और पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।
इस वर्ष कुल 16 शिक्षकों में 9 प्रारम्भिक शिक्षक, 5 माध्यमिक शिक्षक 1 शिक्षक प्रशिक्षक तथा 1 संस्कृत शिक्षक शामिल थे-जिन्हें राज्य में उनकी समर्पित सेवाओं और बच्चों के उज्जवल भविष्य में योगदान के लिए पुरस्कृत किया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा कि यह सम्मान केवल कुछ शिक्षकों का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षक समुदाय के त्याग और परिश्रम का प्रतीक है। वे बोले- शिक्षक बच्चों को केवल पढ़ाते ही नहीं, चरित्र, नैतिकता और देशभक्ति का बीज भी बोते हैं।ष्
राज्यपाल ने आगे बच्चों के मानसिक और नैतिक विकास पर जोर देते हुए कहा कि डिजिटल युग में शिक्षक ही बच्चों को सोमाल मीडिया-प्रलोभन से बचाकर सही मार्ग दिखा सकते हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि 2047 तक भारत को विश्वगुरु बनाने के सफर में शिक्षकों की भूमिका निर्णायक रहेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुरस्कार विजेताओं की शुभकामनाएं दीं और शैलेश मटियानी की साहित्यिक और संवेदनशील विरासत को याद करते हुए कहा कि मटियानी की कहानियों ने पहाड़ के जीवन और संघर्ष की शब्दों में पिरोया और आज के शिक्षक भी बच्चों में वही संवेदनशीलता और साहस जगाने का कार्य कर रहे हैं। सीएम ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने बुनियादी शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार की है और कौशलम कार्यक्रम के जरिए बच्चों में उद्यमिता व भारतीय ज्ञान-परंपरा को जोड़ा जा रहा है।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विभाग की प्रमुख पहलों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश के 1,340 स्कूलों में वर्चुअल क्लारों और 250 स्कूलों में स्मार्ट क्लासें शुरू कर दी गई हैं। साथ ही इस साल 550 स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम आरम्भ किए गए हैं, 22 हजार प्राथमिक शिक्षकों को टैबलेट दिए जा चुके हैं और शिक्षा विभाग में लगभग 9,500 भर्तियां की जा रहीं हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि ग्रामीण शहरी हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने का गंभीर कदम है।
समारोह में उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने भी शिक्षकों की भावनात्मक और शैक्षिक भूमिका की सराहना की। कार्यक्रम का आयोजन शिक्षण समुदाय के सम्मान और शिक्षा के प्रति सामाजिक प्रतिवद्धता का उत्सव बना रहा। राज्य प्रशासन ने संदेश दिया कि भविष्य की दिशा शिक्षकों के हाथों में है इसलिए उन्हें सशक्त करना और सम्मानित करना हमारी प्राथमिकता है।

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