समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। शनिदेव की पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है। शनि और सूर्य एक-दूसरे के शत्रु माने गए हैं। शनि की पूजा में लोहे के बर्तनों का ही उपयोग करना चाहिए। लोहे का या मिट्टी का दीपक जलाएं, लोहे के बर्तन में भरकर शनि को तेल चढ़ाएं।


- लाल कपड़े, लाल फल या लाल फूल शनिदेव को नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि लाल रंग की ये चीजें मंगल ग्रह से संबंधित हैं। ये ग्रह भी शनि का शत्रु है। शनिदेव की पूजा में काले या नीले रंग की चीजों का उपयोग करना शुभ रहता है। शनि को नीले फूल चढ़ाना चाहिए।
- शनिदेव पश्चिम दिशा के स्वामी माने गए हैं, इसलिए इनकी पूजा करते समय या शनि मंत्रों का जाप करते समय भक्त का मुख पश्चिक दिशा में ही होना चाहिए।
- शनिदेव की प्रतिमा के ठीक सामने खड़े होकर दर्शन नहीं करना चाहिए। इस संबंध में मान्यता है कि ऐसा करने से शनि की दृष्टि सीधे भक्त पर पड़ती है।
- अस्वच्छ अवस्था में शनि की पूजा नहीं करनी चाहिए। अस्वच्छ अवस्था यानी बिना नहाएं, झूठे मुंह या गंदे कपड़े पहनकर पूजा न करें।
- शनिदेव को काले तिल और उड़द चढ़ाना चाहिए। ये दोनों चीजें शनिदेव को विशेष रूप से प्रिय मानी गई हैं। शनि के पूजन में इन बातों का ध्यान रखने से सकारात्मक फल मिल सकते हैं।

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