समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा अराधना की जाती है। नौ दिनों तक अलग-अलग माता को पूजा जाता है। इसी कड़ी में तीसरे दिन मां के चौथे रूप मां कूष्मांडा की अराधना की जाती है। बता दें कि मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की आदिशक्ति माना जाता है। साथ ही माता दुर्गा के इस रूप को सबसे उग्र भी माना गया है।
कैसा होता है मां कूष्मांडा का स्वरूप
बता दें कि माता दर्ु्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की 8 भुजाएं होती हैं। इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके आठ हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प अमृतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और माला होती है और इनके आठवें हाथ में जप की माला है। मां कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं।
मां कूष्मांडा का प्रिय रंग
मां चंद्रघंटा का पसंदीदा रंग पीला होता है। नवरात्रि के तीसरे दिन इस रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और मनचाहे फल के वरदान देती हैं।
मां कूष्मांडा का पसंदीदा भोग
मां चंद्रघंटा को मालपुए बेहद पसंद है। इसलिए मां को मालपुएं का भोग लगाएं और देवी मां को प्रसन्न करें. ऐसा करने से मां आपकी सभी दुखों का निवारण करेंगी।
इस मंत्रों से करें जप
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च
दधाना हस्तपाद्मभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे
मां कूष्मांडा पूजा विधि –
- मां चंद्रघंटा का पसंदीदा रंग पीला होता है।
- नवरात्रि के चौथे दिन इस रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और मनचाहे फल के वरदान देती हैं।
- मां को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, चावल, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल और 16 श्रृंगार चढ़ाएं।
पूजा के दौरान मां कूष्मांडा के मंत्रों को 108 बार जाप करें, कथा पढ़ें और फिर आरती करें।
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