समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। ओड़िशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है। एक और मंदिर अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है तो दूसरी और इस मंदिर से भविष्य में होने वाली घटनाओं को भी जाना जाता है। यहां पर भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदा, युद्ध और प्रलय के संकेत भी मिलते हैं।।
जगन्नाथ मंदिर के 15 चमत्कार
- श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
- मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है।
- पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव आपके सामने ही लगा दिखेगा।
- सामान्य दिनों के समय किसी भी समुद्र तट पर हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है।
- यहं दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है। 500 रसोइए 300 सहयोगियों के साथ बनाते हैं भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद। लगभग 20 लाख भक्त कर सकते हैं यहां भोजन।
- कहा जाता है कि मंदिर में प्रतिदिन प्रसाद 20 हजार लोगों के लिए ही बनाया जाता है लेकिन त्योहार वाले दिन 50 हजार लोगों के लिए बनाया जाता है लेकिन कहा जाता है कि यदि किसी दिन लाखों लोग भी आ जाए तो भी वह प्रसाद ग्रहण करके ही जाते हैं।
- मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमशरू नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है।
- मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है। कहते हैं कि हनुमानजी ने समुद्र की आवाज को भीतर जाने से रोक दिया था।
- इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है, जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी। अंदर नहीं।
- कहते हैं कि मंदिर के एक नहीं हजारों रहस्य है। यहां कई रहस्यमयी किताबें, ग्रंथों के साथ ही खजाने भी रखे हुए होने की बात कहीं जाती है। एक ऐसा भी समय था जबकि सैंकड़ों वर्षों के लिए मंदिर रेत में दब गया था और भविष्यवाणी है कि आने वाले समय में भी ऐसा होने वाला है।
मंदिर से मिलते हैं प्रलय और युद्ध के संकेत
जगन्नाथजी का अपमान
जब भगवान जगन्नाथ का अपमान होगा, मंदिर की परंपराओं में अव्यवस्था होगी। जगन्नाथ मंदिर में प्रतिवर्ष नवकलेवर की रस्म होती है। इस रस्म में पुरानी मूर्तियों को बदलकर नई मूर्तियां स्थापित की जाती है। कहते हैं कि 1996 के बाद 2015 में इस रस्म को लेकर पुजारियों में झगड़ा हो गया था। जिसकी वजह से यह रस्म देरी से हुई। ओड़िशा में कई लोगों ने इसे भगवान जगन्नाथ के अपमान और परंपराओं को खंडित करने के तौर पर देखते हैं। इसके बाद यहां की अव्यवस्था सभी के सामने उजागर हुई।
गुंबद के पत्थर
जगन्नाथ पुरी मंदिर के गुंबद से नीचे पत्थर गिरेंगे। कहते हैं कि वर्ष 1842 से लेकर अब तक लगभग 15 से 16 बार जगन्नाथ पुरी से पत्थर गिरने की घटना हो चुकी है।
बरगद का पेड़
ओड़ीसा में चक्रवाती तूफान से जगन्नाथ मंदिर का कल्पवृक्ष यानी पवित्र बरगद का पेड़ गिर जाएगा और इसके बाद दुनिया में लाखों लोग मरने लगेंगे। ओड़िसा में मई 2019 में फानी नाम का एक तूफान आया था जिसमें यह बरगद का पेड़ गिर गया था। उन्नीस के अंत में ही करोना महामारी का प्रकोप प्रारंभ हुए था और लोगों के मरने का सिलसिला प्रारंभ हो गया।
ध्वज का गिरना
जगन्नाथ मंदिर का झंडा कई बार गिरेगा और एक चक्रवाती तूफान के कारण झंडा समुद्र में जा गिरेगा। मई 2019 में चक्रवाती तूफान फानी के कारण यह घटना घट चुकी है। इसके बाद मई 2020 में भी यह घटना घट चुकी है।
नीलचक्र का टेड़ा होना
जगन्नाथ मंदिर का नीलचक्र यानी सुदर्शनचक्र तूफान से टेड़ा हो जाएगा। मई 2019 में समुद्री तूफान फानी के कारण यह विशालकाय चक्र टेड़ा हो गया था।
ध्वज का जलना
जगन्नाथ पुरी के मंदिर के ध्वज में आग लग जाएगी। 19 मार्च 2020 को पापनाशक एकादशी के दिन मंदिर के परिसर में महादीप लगाया गया था। अचानक हवा चलने से ध्वज उड़कर महाद्वीप के पास चला आया और उसमें आग लग गई। उस समय इसे बहुत बड़ा अनिष्ट माना गया था। उसके पांच दिन बाद देश में पहला लॉकडाउन लग गया था। इसके बाद ही भारत में दूसरी लहर का ऐसा मंजर देखा गया जिसने त्राही मचा दी थी। चारों तरफ चिताएं जल रही थीं।
त्रिदेव के वस्त्र
मंदिर परिसर में त्रिदेव के ऊपर जो कपड़ा है उसमें आग लग जाएगी। मंदिर परिसर में यह घटना भी कई बार हो चुकी है।
गिद्धा का गुंबद पर बैठना
मंदिर के शिखर पर और एकाश्म स्तंभ पर गिद्ध बैठेगा। कहते हैं कि जगन्नाथ मंदिर के शिखर के आसपास कभी भी किस पक्षी को उड़ता नहीं देखा गया और न ही इसके आसपास कोई प्लेन या हेलिकॉफ्टर उड़ाया जाता है। लेकिन मंदिर के उपर जुलाई 2020 और इसके बाद दिसंबर 2021 में गिद्ध, चील और बाज दिखाई दिए। मंदिर के शिखर, ध्वज, एकाश्म स्तंभ और नीलचक्र पर ये पक्षी बैठे हुए दिखाई दिए थे।
रक्त का धब्बे
जगन्नाथ के मंदिर में बार-बार रक्तपात होगा, खून के धब्बे मिलेंगे। यह घटना भी घट चुकी है। मंदिर परिसर में बार बार खून के धब्बे मिल रहे हैं। कभी झगड़ों के कारण तो कभी किसी अन्य रहस्यमयी वजह के चलते खून के धब्बे देखे गए। कई बार मंदिर का शुद्धिकरण करके महानुष्ठान किया गया है।
उपरोक्त सभी भविष्वाणियां सत्य हो गई हैं। इसका मतलब यह कि कलयुग का अंत आ चुका है और विनाश का समय अब प्रारंभ होगा।
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