साहब जब टिकट ही नहीं दोगे तो कैसे होगें सपने साकार

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समाचार सच, हल्द्वानी (धीरज भट्ट)। महिलाओं के नाम पर घड़ियाली आसूं बहाने वाले नेता भले ही तमाम दावे करते फिरें लेकिन जब तक महिलाओं को टिकट देने में राष्ट्रीय दल कंजूसी बरतेंगे तब तक उनका प्रतिनिधित्व आगे नहीं बड़ सकता है। इसका गवाह हमारे देश की विधायिका व सांसद है। आलम यह है कि आज तक उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दहाई के अंक तक और संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 70 सालों में तिहाई के अंक को नहीं छू पाया है।
ज्ञात हो कि गांधी जी ने भी देश में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए हामी भरी थी लेकिन उनका सपना साकार होता कहीं दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे को कोई भी दल ईमानदारी से उठाने को तैयार नहीं है। देश में राजनीतिक दलों का यही रूख रहा तो आगामी वर्षों में इसकी कम ही उम्मीद है कि सियासी दल अपना रवैय्या बदलेंगे।
उत्तराखंड में ही देख लें पिछले चार विधानसभा चुनावों में महिलाओं को टिकट देने में राजनीतिक दलों का रिकार्ड संतोषजनक नहीं रहा और नही यहां के सरकारों ने महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए गंभीरता दिखायी। हालाकि एकाध बार नारायण दत्त तिवारी ने एक बयान महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ाने पर जोर दिया था लेकिन विधेयक या कानून नहीं लाये जिससे महिलाओं के प्रतिनिधित्व का रास्ता आसान होता।

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सात से अधिक महिलाएं नहीं बन पायी महिला विधायक
हल्द्वानी।
भले ही सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा जोर-जोर से दे रही है लेकिन अभी तक न तो राज्य सरकार ने और नहीं केन्द्र सरकार ने इस मामले में ठोस कदम उठाया। हालाकि सरकार भले ही कितना ही दावे कर ले लेकिन जब तक प्रतिनिधित्व नहीं बढ़गा तब तक कैसे महिलाओं का सशक्तिकरण होगा।

तैंतीस प्रतिशत लागू होने से बिगड़ जायेगा गणित
हल्द्वानी।
तैतीस प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाने से उत्तरखंड में 24 विधानसभा सीटें, एक लोकसभा और एक सीट राज्यसभा की सुरक्षित हो जायेगी। वहीं लोकसभा में 230 और राज्यसभा में लगभग 82 सीटें आरक्षित हो जायेंगी।
इस हिसाब से पुरूषों के हाथ से तोते उड़ने तय हैं।

हल्द्वानी में मैडम का डंका
हल्द्वानी।
राज्य विधानसभा चुनावों के बाद यहां पिछले 20 सालों से लगातार चुनाव लड़ रही हैं और एक बार के अलावा वे राज्य विधानसभा में पहुंची हैं। वे 2002, 2007 और 2017 में हल्द्वानी से विधायक का चुनाव जीत जा चुकी हैं। हालाकि उन्हें एक बार यहां से 2012 में हार का मुंह देखना पड़ा था। वर्तमान में वे राज्य में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभा रही हैं।

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मोदी जी ने भी नहीं करी उम्मीदें पूरी
हल्द्वानी।
महिला आरक्षण बिल सालों से लटका पड़ा है और ऐसी उम्मीदें थी कि शायद भाजपा सरकार के आने के बाद इन पर पंख लगेगे लेकिन अभी तक इन उम्मीदों पर मोदी सरकार खरी नहीं उतरी है। हालाकि मोदी सरकार ने देश की तमाम समस्याओं को निपटाने का दावा किया है लेकिन अभी तक इस पर नजरे इनायत नहीं हुई है।

महिलाओं को मिले 50 प्रतिशत आरक्षण : अमिता लोहनी

हल्द्वानी। राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष अमिता लोहनी का कहना है कि विधानसभा में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए वहीं संसद में भी इस का अनुपात बढ़ना चाहिए। उनका कहना था कि आज राज्य को बने बीस साल हो चुके हैं लेकिन अभी राज्य में महिलाओं का प्रतिनिधित्व में इजाफा नहीं हो रहा है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ने पर ही उनकी समस्याओं पर ज्यादा फोकस हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सुदूर पहाड़ों में महिलाओं को इधर-उधर जाने में समस्याएं आती हैं और अगर महिलाओं का प्रतिनिधित्व अधिक होगा तो महिलाएं अपनी समस्याओं को उससे शेयर करेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व निश्चित ही बढ़ना चाहिए जिससे महिलाओं के अनुभवों का लाभ देश स समाज को मिल सके।

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