बार-बार नींद में चलना एक अंडरलाइंग स्लीप डिसऑर्डर का संकेत भी दे सकता है जानें इलाज, लक्षण और कारण

खबर शेयर करें

समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। स्लीपवॉकिंग जिसे सोनामबुलिज्म भी कहा जाता है इसमें नींद की स्थिति में उठना और घूमना शामिल है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में ये समस्या ज्यादा आम है। वैसे तो स्लीपवॉकिंग की अलग-अलग घटनाएं अक्सर किसी गंभीर समस्या का संकेत नहीं देती हैं और न ही इसे किसी खास उपचार की आवश्यकता होती है। हालांकि, बार-बार नींद में चलना एक अंडरलाइंग स्लीप डिसऑर्डर का संकेत भी दे सकता है।

वयस्कों में स्लीपवॉकिंग में अन्य नींद विकारों के साथ-साथ चिकित्सा स्थितियों के साथ भ्रमित होने या सह-अस्तित्व में होने की संभावना अधिक होती है। यदि आपके घर में कोई भी स्लीपवॉक करता है, तो उसे स्लीपवॉकिंग से संबंधित संभावित चोटों से बचाना जरूरी है। जानिए इस विकार के बारे में विस्तार से..

स्लीपवॉकिंग के लक्षण
स्लीपवॉकिंग आमतौर पर रात में होती है, अक्सर सोने के एक से दो घंटे बाद शुरू होती है। हालांकि, झपकी के दौरान भी स्लीपवॉकिंग की संभावना नहीं है। स्लीपवॉकिंग एपिसोड कभी कभार हो सकता है जो आम तौर पर कई मिनट तक रहता है, लेकिन कोई कोई लंबे समय तक भी चल सकता है। यहां कुछ स्लीपवॉकिंग के कुछ लक्षण हैं।

  • बिस्तर से उठना और इधर उधर घूमने लगना
  • बिस्तर पर बैठ जाना और अपनी आंखें खोलकर रखना
  • दूसरों के साथ किसी तरह की प्रतिक्रिया या बातचीत न करना
  • जागने के बाद थोड़े समय के लिए विचलित या भ्रमित होना
  • सुबह का वाकया याद न रहना
  • नींद में खलल के कारण दिन में काम करने में समस्या
यह भी पढ़ें -   कारगिल विजय दिवस पर मुख्यमंत्री धामी ने की चार बड़ी घोषणाएं

स्लीप टेरर्स
स्लीपवॉकिंग के अलावा कुछ लोगों में स्लीप टेरर्स का विकार भी होता है। इस डिसऑर्डर वाला व्यक्ति जागने के तुरंत बाद या कभी-कभी, नींद में चलने के दौरान थोड़े भ्रम की अवस्था में रहते हैं और अपने लिए हिंसक बन जाते हैं।

  • सोते वक्त डेली रुटीन की एक्टिवीटज करने लगना, जैसे कि कपड़े पहनना, बात करना या भोजन खाना आदि।
  • घर छोड़कर बाहर चले जाना।
  • नींद में कार चलाना।
  • कोठरी में पेशाब करना।
  • अवेयरनेस के बिना सेक्सअल एक्टीविटीज में शामिल हो जाना।
  • सीढ़ियों से नीचे गिरकर या खिड़की से कूदकर घायल हो जाना।

कब होती डॉक्टर को दिखाने की जरूरत
स्लीपवॉकिंग आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होते हैं और ये अपने आप हल हो जाते हैं। आप इसे साधारण तौर पर डेली का एक फिजिकली रूटीन मान सकते हैं। हालांकि, अगर आप खुद के लिए हिंसक बन रहे हैं तो डॉक्टर से जरूर परमार्श करें। नीचे दी गई कंडीशन में आपको अपने डॉ. से सलाह लेनी चाहिए।

  • अक्सर होता है- उदाहरण के लिए, सप्ताह में एक-दो बार से अधिक या रात में कई बार
  • स्लीपवॉक करना या दूसरों के साथ खतरनाक व्यवहार करना या उन्हें किसी तरह की चोट पहुंचाना,
  • घर के सदस्यों या नींद में चलने वाले व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण नींद में व्यवधान पैदा करने लगना,
  • एक वयस्क के रूप में पहली बार स्लीपवॉकिंग के सिम्टम्स दिखना
यह भी पढ़ें -   २७ जुलाई २०२४ शनिवार का पंचांग, जानिए राशिफल में आज का दिन कैसा रहेगा आपका…

स्लीपवॉकिंग के कारण

  • सोने का अभाव
  • तनाव
  • बुखार
  • नींद के समय में बाधा आना
  • यात्रा या नींद में रुकावट
  • जेनेटिक समस्या
  • नशीले पदार्थों का सेवन जैसे शराब
  • गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी)

कैसे करें स्लीपवॉकिंग से बचाव

  • स्लीपवॉकिंग को रोकने के लिए अपने सोने का टाइम सेट करें और पर्याप्त नींद लें।
  • अगर नींद में दखल होता तो रात को शराब और सिगरेट का सेवन न करें।
  • तनाव, चिंता को कम करने की कोशिश करें और ज्यादा न सोचें।
  • सुबह जल्दी उठने उठें और रात को जल्दी सोने की आदत डालें।
  • अपने रूटीन में व्यायाम को शामिल करें। आप वॉक कर सकते हैं या फिर साइकिलिंग।
  • कैफीन युक्त पदार्थ का अधिक सेवन करने से बचें ताकि सोते समय किसी तरह की रुकावट न आए।
  • अगर आप सोने जा रहे हैं तो कमरे में उजाला न रखें, क्योंकि अधिक लाइट से भी नींद में बांधा पड़ सकती है।
  • रात के वक्त ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन न करें।
Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440