समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। इमली भारत का सदा हरा भरा रहने वाला विशाल पेड़ है, जो वर्षों तक फल देता रहता है। इस पेड़ की पत्तियों, फूल, फल, बीज, बीज का आवरण, छाल, लकड़ी, जड़ के कई औषधीय उपयोग हैं। भारत के उष्ण भागों में यह अपने आप ही पैदा हो जाती है परंतु शोभा के लिए इसे बाग, बगीचों, सड़कों के किनारे आदि स्थानों पर लगाया जाता है। इमली में विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर की रोग प्रति रोधक ताकत को बढाती हैं।
इमली के पेड़ तीन प्रकार के होते हैं
खट्टे फलों वाला, मीठे फलों वाला तथा लाल फलों वाला। इनमें लाल फलों वाले का सर्वाधिक महत्व है। इसकी फलियां पकने के बाद इकट्ठी करके रखी जा सकती है। फलियों के अंदर चमकदार कत्थई रंग के आवरण के चपटे, कड़े 3 से 10 तक बीज रहते हैं। इमली में नीबू से ज्यादा एसिड होता है। प्राकृतिक रूप से उगने वाले फलों में पकी इमली में शायद सबसे ज्यादा अम्लता पाई जाती है। कच्ची इमली में अम्लता के साथ मिठास भी होती है व खाने में नर्म होती है।
आयुर्वेदिक मतानुसार कच्ची इमली स्वाद में बेहद खट्टी, गरम, भारी, रुचिकारक, अग्नि दीपक, मलरोधक, वातनाशक, आंत्र संकोचक, कफ-पित्त कारक, रक्त दूषक और शूल रोग में सेवनीय है, जबकि पकी इमली वात और कफकारक होती है।
सूखी पुरानी इमली हलकी, मधुर, रुचिकारी, खट्टी-मीठी, हृदय के लिए अच्छी, गरम प्रकृति की, कफ-वात रोगों में पथ्यकारी होती है। पकी इमली जितनी पुरानी होती है उतनी ही अधिक फायदेमंद होती है। इसके बीजों में 20 प्रतिशत तेल होता है, जो गाढ़ा और कुछ पीलापन लिए होता है।
इमली के फायदे और औषधीय गुण
लू का प्रकोप
पकी इमली का पन्ना पीने और हाथ-पैरों के तलवों पर गूदा मलने से लू के प्रभाव दूर हो जाते है।
- पकी हुई इमली के गूदे को हाथ-पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर मिट जाता है। मिश्री के साथ इमली का रस पीने से दिल की जलन मिटती है।
जल जाने पर
आग से जले स्थान पर इमली की छाल की भस्म नारियल के तेल में मिलाकर दिन में दो-तीन बार लगाने से घाव जल्दी ही भर जाते हैं।
पेट की समस्याओं में
इमली का पन्ना पेट के विकारों जैसे, गैस की तकलीफ, भूख न लगना, अरुचि दूर कर भूख बढ़ाता है। - पकी हुई नई इमली वात, कफ कारक होती है पर एक वर्ष पुरानी वात, पित्त नाशक होती है। यह जितनी पुरानी हो, उतनी ही ज्यादा फायदेमंद रहती है।
- इमली की चटनी, शर्बत, हृदय व पाचन शक्ति को मजबूत करता है। इमली का शर्बत पुरानी कब्ज को जड़ से दूर कर देता है।
- इमली का गूदा पानी के साथ उबालकर शक्कर मिलाकर लेने से पेट का आफरा व कब्ज में फायदा करता है। फोड़े-फुंसी तथा पीलिया रोग में इमली का पानी पिलाना लाभदायक रहता है।
बिच्छू, मधुमक्खी,बर्र, ततैया के डंक को बेअसर करने के लिए
इमली बीज को बीच से दो टुकड़ों में बांट लें और पानी के साथ सफेद भाग को घिसकर दंश के स्थान पर चिपका दें। डंक का जहर चूसने के बाद यह बीज का टुकड़ा अपने आप ही गिर जाएगा। - इमली और काली मिर्च का सूप सर्दी-जुकाम ठीक करने का अच्छा नुस्खा है।
शराब का नशा
इसके गूदे को पानी में मसलकर थोड़ा गुड़ मिला लें, फिर छानकर पिलाएं। शराब का नशा उतर जाएगा।
गुहेरी
आंखों की पलकों पर होने वाली फुंसी (गुहेरी) पर इमली के बीच को पत्थर पर चंदन की तरह घिसकर बने लेप को लगाने से जल्दी ही लाभ होता है।
वीर्यवर्द्धक, शरीर को ताकत देने वाला नुस्खा
पानी में इमली के बीजों को कुछ दिनों तक भिगो दें, ताकि छिलका आसानी से निकल जाए। छिलके निकले सफेद बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें। इसे घी में भूनकर इसमें समान मात्रा में मिसरी मिलाकर शीशी में भर लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार दूध के साथ सेवन करें शारीरिक ताकत बढ़ेगी। यह नुस्खा सभी के लिए है। - इमली खाकर आप मोटापे से छुटकारा पा सकते हैं. इमली में मौजूद हाइड्रोसिट्रिक आपके शरीर में बनने वाली चर्बी को धीरे- धीरे कम करता है। इसके अलावा इमली ज्यादा खाने की इच्छा से भी बचाती है जिससे वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता।
इमली के पत्ते के फायदे
- आयुर्वेद के अनुसार इमली की पत्तियां आंख, कान के रोग, सूजन, रक्तविकार में उपयोगी है। इसकी पत्तियों के क्वाथ से पुराने जख्म धोने से लाभ होता है, सूजन दूर होती है।
- सूजन, चोट पर
इसके पत्तों का पिसा गाढ़ा लेप गरम करके सूजन, चोट पर बांधने से जल्दी ही आराम मिलता है।
-डायबिटीज के मरीजों के लिए इमली बहुत फायदेमंद है।
खांसी
इसके पत्तों का काढ़ा, थोड़ा-सा सेंधा नमक और हींग मिलाकर पीने से खांसी की तकलीफ दूर होती है। - यह स्कर्वी रोकने व दूर करने में सहायक है। इसके गूदे का उपयोग खाने पीने की कई चीजो में कई प्रकार से किया जा सकता है।
- कढ़ी व भाजी में इसकी पत्तियां काम में ली जाती हैं। इसके बीज निकाल कर, हींग नमक लगाकर धूप में सूखाकर रख ली जाती है, फिर यह साल भर तक खराब नहीं होती है।
- इमली की पत्तियों का रस कृमिनाशक है, यह पेट के सारे विकार मिटाता है। पत्तों का रस खूनी बवासीर में लाभदायक है। पत्तों के क्वाथ में काला नमक मिलाकर पीने से खांसी ठीक होती हैं।
- इसके पत्तों के रस को तिल के तेल में पकाकर कान में डालने से कान का दर्द मिटता है। पत्तों का रस दाद पर लगाने से खुजली ठीक होती है।
इमली के बीज के औषधीय गुण
- इसके आधा किलो बीज के टुकड़े करके पानी में भिगो दें, जब तक कि उनके छिलके न उतर जाएं, तब तक रोज पानी बदलते रहें। छिलके उतार कर बीजों को छाया में सूखाकर पीस लें। उसमें उतनी ही मिश्री मिलाकर रखें। रोजाना सुबह-शाम गर्म मीठे दूध के साथ एक-एक चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें, करीब 50 दिनों तक। इससे युवकों की शीघ्रपतन की शिकायत दूर होगी।
- बीजों को उबालकर, पीस कर फोड़ों व सूजन पर लगाने से आराम मिलता है। बीजों के ऊपर का लाल छिलका, पेचिश, अतिसार की उत्तम औषधि है।
- इमली के बीजों को पीसकर मट्ठे के साथ लेने से रक्तातिसार, आमातिसार में लाभ होता है।
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