समाचार सच । धनतेरस व दीपावली में लक्ष्मी, गणेश व सरस्वती जी की पूजा की जाती है। साथ-साथ कुबेर की भी पूजा स्थिर लग्न में की जाती है. वृष, सिंह, वृश्चिक और कुंभ ये चार राशि स्थिर लग्न कहे जाते हैं। इन लग्नों में दीपावली में लक्ष्मी व गणेश आदि की पूजा की जाती है. साथ-साथ कुछ लोग तुला लग्न में भी पूजा करते हैं जो स्थिर लग्न के समान ही शुभ फलदायी होता है. धनतेरस में शुभ मुहुर्त में खरीदारी लाभदायक होता है।
हिंदू परंपरा में धनतेरस का है खास महत्व:
दीपावली से पहले धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है और इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धनवंतरी पूजे जाते हैं. इस दिन कुबेर की भी पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था जो कि समुंद्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे और इसी कारण से भगवान धन्वंतरि को औषधि का जनक भी कहा जाता है।
पं गोपाल दत्त भट्ट शास्त्री के मुताबिक धनतेरस के दिन सोने-चांदी के बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है। इस दिन धातु खरीदना भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से किस्मत चमक जाती है। इसके साथ ही हरेक सामग्री के लिए शुभ वक्त तय है, उस दौरान खरीदारी करने से महालक्ष्मी का घर में शुभागमन होगा।
धनतेरस में श्री लक्ष्मी-गणेश आदि पूजा के शुभ मुहूर्त इस प्रकार से:
दीपावली महोत्सव की शुरूआत धनतेरस से होती है। इस दिन भगवान धनवंतरी की जयंती भी मनायी जाती है. इस दिन माता लक्ष्मी की भी उत्पत्ति हुयी थी। आयुर्वेद के जनक धनवंतरी की जयंती मनाने पर धन-धान्य व आरोग्य की प्राप्ति होती है। पूजन के लिए शुभ मुहुर्त शुक्रवार की शाम 5ः12 से 6 बजे और शाम 6ः24 से 8ः22 बजे तक है।
25 व 26 दोनों दिन करें खरीदारी
पंडित श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार को त्रयोदशी शाम 04ः31 मिनट से शुरू होगा। खरीददारी का शुभ मुहूर्त शाम 06ः55 से 08ः50 तक है। शनिवार को त्रयोदशी दिन में 02ः08 तक है. खरीददारी का शुभ मुहुर्त शनिवार को सुबह 08ः05 से 10ः21 तक है। उन्होंने बताया कि स्थिर लगन में भी खरीदारी संभव है।
26 को यम तर्पण व दीपदान:
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी यानि शनिवार को नरक चतुर्दशी है. इस अवसर पर यम तर्पण व दीपदान किया जाता है। संध्या काल में दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जल, तिल व कुश लेकर दीपक प्रज्वलित किया जाता है।
27 को दीपावली पूजा अर्चना का समय:
कार्तिक अमावस्या के दिन रविवार को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होगी। शुभ मुहुर्त शाम 5ः 10 से 5ः58 व 6ः16 से रात्रि 8ः14 के बीच है। विशिष्ट मुहुर्त में कल-कारखाने, दफ्तर आदि में पूजा की जाती है। विशिष्ट मुहुर्त रात्रि 12ः44 से 2ः55 के बीच है।

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