थॉयराइड के कारण भी हार्ट अटैक व ब्रेन डैमेज का हो सकता है खतरा

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। थॉयराइड के मरीजों को हार्ट अटैक और ब्रेन डैमेज का खतरा होता हैं क्योंकि ये बीमारी लंबे समय में दिल और दिमाग को प्रभावित करती है। थॉयराइड गले में मौजूद एक अंग है, जो थॉयरोक्सिन हार्मोंन के असंतुलन के कारण थॉयराइड की बीमारी हेाती है।
दिल और दिमाग की बीमारियों का खतरा: थॉयराइड की समस्या का अगर समय से इलाज नहीं किया जाये तो व्यक्ति को अचानक कार्डियक अरेस्ट, महिलाओं में हार्मोंन का बदलाव आने की संभावना पुरूषों की तुलना में अधिक होती है। आयोडिन की कमी से यह समस्या और अधिक बढ़ जाती है। तनाव का असर भी टीएसएच हार्मोंन पर पड़ता है। एरिथमिया (हार्टबीट असामान्य होना), ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियक डायलेशन जैसी समस्याएं हो सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था में ऐसा होने पर गर्भपात, समयपूर्व प्रसव, प्रीक्लैम्पिसिया इसलिए महिलाओं को हर साल थॉयराइड ग्लैंड की जांच करवानी चाहिए, इससे कोई भी समस्या तुरंत पकड़ में आ जाती है और समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशन बढ़ना, गर्भ का विकास ठीक से न होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। शोध भी बताते हैं कि बहुत सारे मरीजों में थॉयराइड ब्रेन डैमेज का भी कारण बन सकता है।
सावधानी हायपोथायरॉइडिज्म है अधिक खतरनाक – हायपोथायरॉइडिज्म, थायरॉइड ग्लैंड से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसका इलाज न किए जाने पर यह गॉयटर (घेंघा) का रूप ले सकता है। घेंघा के कारण गर्दन में सूजन आ जाती है। इसके अलावा हायपोथायरॉइडिज्म के कारण आथरोस्कलेरोपसिस, स्ट्रोक, कॉलेस्ट्रॉल बढ़ना, बांझपन कमजोरी आदि का भी खतरा होता है। हाइपरथॉयराइडिज्म में जब थॉयराइड ज्यादा सक्रिय होता है तो ग्लैंड से हार्मोंन ज्यादा बनता है, जो ग्रेव्स डीजीज या टयूमर तक का कारण बन सकता है। ग्रेव्स डीजीज में मरीज में एंटीबॉडी बनने लगते हैं जिससे थायरॉइड ग्लैंड ज्यादा हार्मोंन बनाने लगती है।
आयोडीन का ज्यादा सेवन भी खतरनाक – ज्यादातर लोग जानते हैं कि आयोडिन की कमी से थॉयराइड रोग होता है। मगर आपको बता दें कि आयोडिन के ज्यादा सेवन से ही भी इस बीमार का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा हार्मोंन युक्त दवाओं के सेवन से भी हायपरथॉयराइडिज्म हो सकता है। इसके लक्षण है ज्यादा पसीना आना, थॉयराइड ग्लैंड का आकार बढ़ जाना, हार्ट रेट बढ़ना, आंखों के आसपास सूजन, बाल पतले होना, त्वचा मुलायम होना।
जीवनशैली में बदलाव से बचाव संभव – चिकित्सक बताते हैं कि इन बीमारियों से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाना बेहद जरूरी होता है। खासतौर पर उन लोगों को ये बदलाव लाने चाहिए जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास रहा है। इसमें नियमित जांच, खूब पानी पीना, संतुलित आहार, नियमित रूप से व्यायाम, ध्रूम्रपान या शराब का सेवन नहीं करने अपने आप दवा नहीं लेने जैसे सुझाव शामिल हैं।
थॉयराइड को कंट्रोल करने में योग – ऐसे ही आसान योग, जिन्हें करने से थॉयराइड से बचने और कंट्रोल करने दोनों में मदद मिलेगी।

  1. उज्जायी प्राणायाम – पालथी मारकर बैठे और हाथों का ध्यान की मुद्रा में रखें। सांस लेते और छोड़ते समय गले की खर्राटे की तरह आवाज निकाले। 30 सेकेंडस के लिए इस प्रोसेस को दोहराएं।
  2. भुजंगासन – पेट के बल लेट जाएं। हाथों को सीने के पास रखें। सांस लेते हुए शरीर के आगे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं, फिर सांस छोड़ते हुए वापस आ जाएं।
  3. सेतुबंध – पीठ के बल लेटकर पैरों को मोड़ लें अब हाथों के सहारे कमर को ऊपर उठाएं कुछ देर इसी पोजीशन पर रहें, फिर पहले वाली स्थिति में वापस आ जाएं। इसे 5 बार दोहराएं।
    जालंधर बांध प्राणायाम – पालथी मारकर बैठ जाएं। दोनों हाथों को ध्यान मुद्रा में रखें। सांस लेते और छोड़ते हुए ठोंड़ी को गले से टच करें। ऐसा 30 सेंकेड तक करें और पांच बार दोहराएं।
  4. मत्स्यासन – ध्यान रहें जिन लोगों को सर्वाइकल की तकलीफ है वह आसान न करें। लेटकर पालथी मर लें। अब हाथों से पैरों के अंगूठों को पकड़े। अब गर्दन को ऊपर उठाकर माथे की ओर झुकाएं। इसे दो से तीन बार दोहराएं।
    थॉयराइड में परहेज –
    -सब्जियों में पालक, मूली, सरसों, ब्रोकली, फूलगोभी, शलजम, फलों में स्ट्रॉबरी, नट्स में मुंगफली फोलिक एसिड के धनी होते हुए भी ये सब थॉयराइड में नुकसानदायक हैं, इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए। पालक का जूस पी सकते हैं।
    -थॉयराइड में सोयाबीन और इससे बने सभी उत्पादों से दूर रहना चाहिए। एक अध्ययन के अनुसार, सोयाबीन थॉयराइड विरोधी पाए गए हैं और यदि किसी व्यक्ति के भोजन में पहले से ही आयोडीन की कमी चल रही है तो सोया का दुष्प्रभाव ज्यादा बढ़ जाता है। सोया उत्पादों में सोयाबीन, टोफू, सोया दूध, सोया बार समेत वे सभी उत्पाद आते हैं, जो किसी भी तरह से सोया से संबंधित हैं।
    -थॉयराइड में इन चीजों से भी दूर रहें – फलः आड़ू, स्ट्रॉबेरी, बाजरा, सब्जी, मूली, आलू और मूंगफली। विशेषज्ञों के अनुसार इन सभी चीजों में फ्लेवोनॉयड नाम का तत्व काफी मात्रा में होता है, जो वैसे तो शरीर के लिए बहुत काम की चीज है, मगर कुछ अध्ययनों में पाया है कि कुछ फ्लेवोनॉयड थॉयराइड की कार्य प्रणाली में बाधा पहुंचाते हैं, जिससे थॉयराइड हार्मोंन का उत्पादन रूक जाता है।
    -थॉयराइड में वजन बहुत तेजी से बढ़ता है इसलिए कोलेस्ट्राल और सेचुरेडेट फैट खाने से हर हाल में बचना चाहिए।
    -थायराइड में ज्यादा चीनी, तला भोजन ठीक नहीं है। ज्यादा चीनी का सेवन भी थॉयराइड की सुचारू कार्यप्रणाली के लिए नुकसानदायक होता है।
    -थॉयराइड में घी, डालडा या वनस्पति घी, तेल, रेड मीट, चिकनाई, वसा, क्रीम, जंक फूड और फास्ट फूड से परहेज रखें।
    -तेज मिर्च, खटाई, इमली, ज्यादा मसाले वाले पकवान इन सभी खाद्य पदार्थों को थॉयराइड में नहीं खाना चाहिए।
    -सॉफ्ट , पैन केक, जैम, जैली, कुकीज, केक, पेस्ट्रीज, कैंडीज और डिब्बाबंद भोजन से भी दूर रहें। ये खाद्य थॉयराइड में नही खाना चाहिए।
    -चाय सिगरेट, तंबाकू, कॉफी, शराब और बीयर से भी थॉयराइड में परहेज रखें।
    थॉयराइड ग्रंथि के इलाज के लिए करें अखरोट और बादाम का सेवन अखरोट और बादाम में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्या के उपचार में फायदेमंद है।
    1 आउंस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी कम किया जा सकता है। अखरोट और बादाम सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है। इसके साथ में रात को सोते समय गाय के गर्म दूध के साथ एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करें।
    क्या हैं सेलीनियम ?
    थॉयराइड ग्रंथि में सेलीनियम उच्च सांद्रता में पाया जाता है इसे थायराइड सुपर न्यूट्रीएंट भी कहा जाता है। यह थॉयराइड से संबंधित अधिकांश एंजाइम्स का एक प्रमुख घटक द्रव्य है, इसके सेवन से थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करने लगता है। यह ऐसा आवश्यक सूक्ष्म तत्व है जिस पर शरीर की रोग- प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है इसलिए खाने में पर्याप्त में सेलेनियम के सेवन की सलाह दी जाती है। थॉयराइड ग्रंथि की समस्याय होने पर नमक का सेवन बढ़ा देना चाहिए, इसके अलावा स्वस्थ खानपान और नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या बनायें। (आभार: हर्बल हेल्थ)

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