समाचार सच, रोचक तथ्य। जी हां, आज धरती सुपरमून का दीदार करेगी। आज रात आसमान में साल का सबसे बड़ा चांद दिखाई देगा. खास बात यह है कि इसके दीदार के लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है. इसे आप अपने घर से ही देख पाएंगे।
बताते चलें कि जब चांद और धरती के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है और चंद्रमा की चमक बढ़ जाती है, उस स्थिति में चांद को सुपरमून कहा जाता है. इस दौराना चांद आम दिनों की तुलना में 14 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला दिखाई देता है।
7 अप्रैल को रात 11.38 पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होगा। इस समय पर चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी मात्र 356900 किलोमीटर रह जाएगी। चांद की यह स्थिति पेरिगी कहलाती है.
आमतौर पर पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 384400 किमी मानी जाती है। वहीं, चंद्रमा की पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी होने पर यह दूरी लगभग 405696 किमी मानी जाती है जिसे अपोगी की स्थिति कहते हैं. चंद्रमा की पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा पड़ जाए, तो हमें सुपरमून दिखाई देता है. एक साल में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती है, लेकिन ऐसा कम होता है कि पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा भी पड़े।
आकाश में सुपरमून आठ अप्रैल को दिखेगा, जिसका नाम पिंक सुपर मून है। सुपरमून 8 अप्रैल को दोपहर 2.35 बजे जीएमटी (भारतीय समयानुसार सुबह 8.05 बजे) पर दिखाई देगा। मगर, तब तक सूर्याेदय हो चुका होगा और इस स्थिति में भारत के लोग सुपर पिंक मून की घटना को सीधे नहीं देख पाएंगे। लेकिन आप इस खास खगोलीय घटना को ऑनलाइन लाइव देख सकेंगे इस सुपरमून की घटना को अपने चैनल पर लाइव स्ट्रीम करेगा।
बता दें कि पिंक सुपरमून सिर्फ एक नाम है, जिसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है. इसका मतलब ये नहीं है कि चांद गुलाबी रंग का दिखेगा। दरअसल, अमेरिका और कनाडा में इस मौसम में उगने वाले एक फूल की वजह से इसे पिंक सुपरमून कहा जाता है। इस फूल का नाम है- फ्लॉक्स सुबुलता। इसे मॉस पिंक भी कहते हैं। इसके नाम पर ही इस सीजन में दिखने वाले सुपरमून को पिंक सुपरमून कहा गया है।
इस समय जब कोरोनावायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन है और ऐसे में हर गुजरते दिन के साथ हम सब यही उम्मीद कर रहे हैं कि जल्दी से ये सब खत्म हो और हम वापस अपनी जिंदगी को पहले की तरह जी सकें। ऐसे में सुपरमून एक उम्मीद लेकर आ रहा है, क्योंकि ज्योतिर्विज्ञान के जानकारों की मानें तो पृथ्वी पर स्थित समस्त औषधियां चंद्रमा से ऊर्जा प्राप्त करती हैं। यही वजह है कि चंद्रमा को औषधिपति कहा जाता है। शुक्ल पक्ष के आरंभ के साथ क्रमशः चंद्रमा का बल बढ़ता जाता है।
पूर्णमासी को चंद्रमा सर्वाधिक प्रभावशाली हो जाता है. सुपरमून की स्थिति में चंद्रमा पूर्णमासी से भी अधिक बलशाली होते हैं। ऐसे में कोरोना पर भी चंद्रमा की सुपरमून अवस्था का प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही, 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में जायेंगे तब कोरोना की स्थिति में नियंत्रण होना शुरू हो जाएगा। 14 मई को सूर्य वृष राशि में गोचर करेंगे। वृष राशि स्थिर राशि होती है, इसलिए माना जा रहा है कि 14 मई को कोरोना का प्रकोप भारत में रुक जाएगा।
बहरहाल, इस सुपरमून को आप अपने घर की बाल्कनी या छत से आसानी से देख सकते हैं. कोविड-19 के चलते हालात पहले जैसे नहीं हैं। ऐसे में हमारी आपसे यही अपील है कि आप घर से बाहर न निकलें और जहां आप इस वक्त रहते हैं, वहीं की छत या बाल्कनी से ही इस चांद का दीदार करें साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा खयाल रखें।
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