वात को शांत करके मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का इलाज करता है, ब्लड सर्क्युलेशन भी सुधरता है आयुर्वेदिक

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। कई तरह की जड़ी-बूटियों से बने तेल का इस्तेमाल शरीर की मालिश करके दर्द को कम करने में की जाती है। स्नेहन से अमा को समाप्त किया जाता है। बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए स्नेहन सबसे अधिक प्रभावी माना गया है। यह वात को शांत करके मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का इलाज करता है। इससे ब्लड सर्क्युलेशन भी सुधरता है।

विरेचन
विरेचन आयुर्वेदिक थेरिपी से शरीर में बढ़े हुए पित्त और अमा को संतुलित किया जाता है। यह बुखार और गठिया के कारण शरीर में होने वाले दर्द के उपचार के लिए प्रभावी माना जाता है। अस्थमा, त्वचा रोग, क्रोनिक पीलिया, पेट दर्द और अन्य पित्त प्रधान रोगों के उपचार में भी विरेचन थेरिपी मददगार होता है।

वमन
उल्टी के माध्यम से कफ और पित्त दोषों को संतुलित किया जाता है। इससे बॉडी में मौजूद टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकलते हैं। इससे बदन दर्द के आम कारणों से निपटने में आराम मिलता है। दमा और अन्य स्थितियों के इलाज में भी वमन आयुर्वेदिक थेरिपी का प्रयोग किया जाता है।

रक्तमोक्षण
आयुर्वेद में शरीर से अशुद्ध ब्लड को हटाने की प्रक्रिया रक्तमोक्षण कहलाती है। इससे बॉडी टॉक्सिन्स और अशुद्ध रक्त बाहर निकलते हैं। इस रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरिपी से वात और पित्त रोगों जैसे सिरदर्द और गाउट के कारण हुआ बॉडी पेन कम करने में मदद मिलती है।

स्वेदन
स्वेदन एक पंचकर्म प्रक्रिया है, जिसमें शरीर में जमा अमा को पसीना बहाकर बाहर किया जाता है। इससे शरीर में अकड़न और भारीपन से निजात मिलती है। यह वात प्रधान रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है।

बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज रू हर्ब्स
अरंडी

दर्द से राहत देने वाले गुणों से भरपूर अरंडी शरीर में सूजन और दर्द में आराम दिलाने में मददगार साबित होती है। इसका उपयोग सिरदर्द, बुखार और जॉइंट पेन के इलाज में प्रभावी है। वात विकार की वजह से होने वाली स्थितियों को मैनेज करने में इसका उपयोग सहायक है। अरंडी, तेल और काढ़े के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

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बृहती
बृहती में कामोत्तेजक, कार्मिनिटिव, कार्डियोटोनिक, एक्सपेक्टरेंट, उत्तेजक और कसैले गुण होते हैं। बदन दर्द की यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बॉडी पेन के साथ-साथ अन्य स्थितियों के उपचार में भी सहायक है। बृहती हर्ब का इस्तेमाल काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।

कपिकछु
कपिकछु आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी तंत्रिका और रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर कार्य करती है। इसमें रेजुनेटिव और कृमिनाशक गुण होते हैं। यह शरीर में दर्द, अपच और बुखार की वजह से होने वाले बॉडी पेन को कम करने में उपयोगी है। यह शरीर में बढ़े हुए वात दोष को कम करता है। कपिकछु आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का इस्तेमाल काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।

यष्टिमधु
बदन दर्द की यह जड़ी-बूटी शरीर में दर्द और सूजन को मैनेज करने में मदद करती है। ब्लड को डिटॉक्स करके यह हर्ब वात विकारों के उपचार में लाभकारी है। वात दोष बॉडी पेन का सबसे आम कारण है। इसका उपयोग काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।

कंटकारी
यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी प्रजनन और श्वसन प्रणालियों को प्रभावित करती है। इसमें डाइजेस्टिव और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं। यह फीवर और अर्थराइटिस के कारण होने वाले जोड़ों में दर्द के उपचार में उपयोगी है। बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज कराते समय कंटकारी का इस्तेमाल जूस, काढ़े या पाउडर के फॉर्म में किया जाता है।

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बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : दवा
पुनर्नवादि मंडुरा

बदन दर्द की इस आयुर्वेदिक दवा मंडुरा भस्म, त्रिफला, गोमुत्र और त्रिकटू (लंबी काली मिर्च, सोंठ और छोटी काली मिर्च) का एक मिश्रण है। त्रिफला में पाया जाने वाला आंवला, आयरन और विटामिन सी का सोर्स है। वहीं, गोमूत्र में एंटीऑक्सिडेंट, रोगाणुरोधी और एंटी-एनेमिक प्रॉपर्टीज होती हैं। बदन दर्द की यह आयुर्वेदिक दवा शरीर में असंतुलित कफ और पित्त को मैनेज करती है। एनीमिया के कारण शरीर में दर्द के इलाज के लिए उपयोगी है।

वसंतकुसुमाकर
मालाबार अखरोट, चंदन और हल्दी के गुणों से भरपूर वसंतकुसुमाकर का सेवन कई बीमारियों के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में किया जाता है। वात दोष को खत्म करके यह दवा बदन दर्द में आराम पहुंचाती है।

आनंदभैरव रस
बॉडी पेन की इस दवा में सूखी अदरक, पिप्पली, काली मिर्च आदि मिले होते हैं। इसका सेवन बुखार और अपच की वजह से होने वाले बदन दर्द को कम करने में किया जाता है। साथ ही अगर इसे जीरा या दालचीनी पाउडर के साथ लिया जाए तो यह दस्तऔर पेचिश के इलाज में भी सहायक होता है।

बदन दर्द की आयुर्वेदिक दवा कितनी प्रभावी है?
एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि आमवात से ग्रस्घ्त रोगियों पर सिंहनाद गुग्घ्गुल और शिव गुग्गुल काफी प्रभावी साबित हुई। शोध के दौरान प्रतिभागियों को दो ग्रुप में बांटा गया जिसमें बदन दर्द के आयुर्वेदिक इलाज के लिए एक ग्रुप को सिंहनाद गुग्घ्गुल और दूसरे ग्रुप को शिव गुग्गुल दी गई। जिसमें पाया गया कि इन आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से बदन दर्द के लक्षणों में सुधार देखा गया।

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