
Why 3 rotis should not be served in a plate? Knowing the reason, you too will not do this mistake again.
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सनातन धर्म में कई ऐसी मान्यताएं हैं, जिनके पीछे कोई न कोई वाजिब वजह जरूर होती है, इसलिए इन मान्यताओं व परंपरओं को आज भी लोग मानते हैं और उनका पालन करते हैं। इसके अलावा कई ऐसे नियम भी हैं, जिनका पालन लोग आज भी करते हैं। दरअसल शास्त्रों में पूजा-पाठ, व्रत, त्यौहार, रोजमर्रा के जीवन जैसे सोने-जागने, खाने-पीने से लेकर उठने-बैठने तक के नियमों के बारे में जिक्र किया गया है। इसके अलावा भी कई बातों का वर्णन मिलता है, जिसमें से एक थाली में 3 रोटी परोसने के बारे में भी हैं, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…
थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं एकसाथ 3 रोटियां?
आपने अक्सर बड़े बूढ़ों के मुंह से ये कहते हुए सुना होगा कि थाली में तीन रोटी मत दो या तीन लड्डू, तीन पराठा, तीन सेब मत दो, यहां तक कि प्रसाद में भी कभी तीन फल चढ़ाने से मना किया जाता है। इन सभी के पीछे की वजह एक ही है। दरअसल थाली में 3 रोटी रखने का मतलब मृतक के भोजन के समान माना जाता है। क्योंकि अक्सर तेरहवीं संस्कार में आपने देखा होगा कि मृतक के लिए जो भोग निकालते हैं उसमें या तो 1 रोटी होती है या 3 रोटी रखी जाती है। इसलिए जीवित व्यक्ति के भोजन में 3 रोटियां या कोई भी चीज 3 नहीं परोसी जाती हैं।
नंबर 3 को माना जाता है अशुभ
इसके अलावा खाने पीने की चीजों के मामले में 3 के अंक को अशुभ माना गया है। इतना ही नहीं पूजा-पाठ में भी 3 अंक को अशुभ माना जाता है। इसलिए सनातन धर्म में खाने-पीने की चीजों में तीन की संख्या में ना तो कुछ दिया जाता है और ना ही कुछ लिया जाता है। इसके अलावा पूजा या प्रसाद में भी कोई सामग्री 3 की संख्या में नहीं चढ़ाई जाती है।
क्या कहता है विज्ञान?
वहीं विज्ञान की नजर में ऐसी कोई गिनती नहीं है लेकिन एक सामान्य व्यक्ति के लिए 1 कटोरी दाल, चावल और सब्जी के साथ 2 रोटी खाना पर्याप्त होता है और ऐसे में तीसरी रोटी खाने से मोटापा बढ़ता है व स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी होती हैं।






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