समाचार सच। देव उत्थानी और देवउठनी के नाम से जाना जाता है। इस बार 8 नवंबर को यह एकादशी पड़ रही है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी हिंदू धर्म के लिए काफी खास मानी जाती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु कार्तिक मास के शुरू होने से 4 महीने पूर्व ही सो जाते हैं। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य हिंदू धर्म में नही किया जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु अपनी चीर निद्रा को त्यागते हैं। विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीर सागर में श्री हरि ने शेषनाग की शय्या पर शयन किया था। 4 महीने बाद भगवान ने अपनी निद्रा तोड़ी थी तब से इसे हिंदू धर्म में खास महत्व दिया जाता है। इस एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी और देव उठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। वहीं भगवान की शयन को निद्रा अल्पनिद्रा और योगनिद्रा कहा जाता है।
इस दिन किए जाने वाले कार्य:
-इस दिन तुलसी के पौधे के निकट गाय के घी में दीपक जलाने साथ ही ओम् वासुदेवाय नमः मंत्र के जाप करते हुए 11 बार परिक्रमा करने से पूरे साल लक्ष्मी और विष्णु की कृपा बनी रहती है। इससे कभी भी आर्थिक संकट नहीं आता है।
-धन की इच्छा रखने वाले लोग इस दिन किसी भी विष्णु मंदिर में जाकर सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दौरन खीर और मिठाई में तुलसी का पत्ता रखना ना भूलें।
-नारियल और बादाम भी मंदिर में चढ़ाने से भगवान विष्णु खुश होते हैं।
-इस दिन पीले रंग का वस्त्र, पीले रंग के फूल, पीले रंग के फल या अनाज का दान करने या गरीबों में बांटने से भी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।
-इस दिन तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे सौभाग्य का प्राप्ति होती है।
-इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है,दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। देवी तुलसी आठ नामों वृंदावनी, वृंदा, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, पुष्पसारा, नंदिनी, कृष्णजीवनी और तुलसी नाम से प्रसिद्ध हुईं हैं। श्री हरि के भोग में तुलसी दल का होना अनिवार्य है,भगवान की माला और चरणों में तुलसी चढ़ाई जाती है।
इस मंत्र का करें मंत्रोच्चारणः
हिंदू धर्म में मंत्रों का काफी महत्व माना जाता है। करीब सारे विधि विधान मंत्रों के द्वारा ही संपन्न होते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन मंत्रोच्चारण, स्त्रोत पाठ, शंख घंटा ध्वनि एवं भजन-कीर्तन द्वारा देवों को जगाने का भी विधान है।
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गतामेघा वियच्चौव निर्मलं निर्मलादिशः।।
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।
मुहूर्तः
एकादशी तिथि प्रारम्भः नवम्बर 07, 2019 को 09ः55 एएम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 08, 2019 को 12ः24 पीएम बजे
9 नवंबर को व्रत तोड़ने का समय – 06ः39 एएम से 08ः50 एएम तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 02ः39 पीएम
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