
समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं और यह इस बार 9 अक्टूबर को पड़ रही है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमी की रोशनी में खीर बनाकर रखने की परंपरा है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है, इसलिए खीर बनाकर कुछ घंटों के लिए चंद्रमा की शीतल रोशनी में रखनी चाहिए और फिर उसका सेवन करना चाहिए। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को ही भगवान कृष्ण ने महारास किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर गोपियों को अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था। अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्व है। इस रात को चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है।





शरद पूर्णिमा की रात क्या करें और क्या न करें
- दशहरे से लेकर शरद पूनम तक चंद्रमा की चांदनी स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहद लाभदायक मानी गई है। इन दिनों चन्द्रमा की चांदनी का लाभ उठाना चाहिए, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें।
- नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा की तरफ देखने का अभ्घ्यास करें।
- इस रात सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।
- शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की चांदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है।
- इस दिन यौन संबंधों से दूर रहना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन के संबंध से पैदा हुई संतान के विकलांग होने की आशंका रहती है।
शरद पूर्णिमा कब से कब तक
शरद पूर्णिमा तिथि का आरंभ रविवार, 9 अक्टूबर 2022 को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से होगा और अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समापन होगा।
कितने बजे खाएं खीर
खीर को लोहे या फिर पीतल के पात्र में पकाना चाहिए। रात्रि 8 बजे महीन कपड़े से ढककर चंद्रमा की चांदनी में रखी हुई खीर 11 बजे के आसपास मां लक्ष्मी को को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खा लेनी चाहिए। लेकिन देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना चाहिए।
खीर को खाने के लाभ
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चांदनी में रखी खीर खाने से कई रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। यह खीर चर्म रोगों से परेशान लोगों के लिए अमृत मानी जाती है और इसके साथ ही इस खीर को आंखों की रोशनी बढ़ाने वाला भी माना जाता है। इस खीर को खाने से वाणी के दोष दूर होते हैं और मां लक्ष्घ्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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