एक बार हाथ मिलाने पर 115 मिलियन कोरोना वायरस हो जाते हैं इधर से उधर

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समाचार सच, देहरादून। कोरोना वायरस से लड़ने और बचने के लिए जागरूकता ही एकमात्र हथियार है। कोई टीका या दवा न होने के कारण बीमारी से बचाव पर ध्यान देना जरूरी है। डॉक्टरों के अनुसार बीमारी से बचाव बेहद आसान है। इससे अन्य लोगों में भी इसे फैलने से रोका जा सकता है। दून अस्पताल में कोरोना के नोडल अफसर बनाए गए टीबी व चेस्ट विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनुराग अग्रवाल सभी मरीजों को खुद भी जागरूक कर रहे हैं। डॉ. अनुराग के अनुसार सामान्य फ्लू के लक्षण भी कोरोना जैसे होते हैं। इसलिए केवल लक्षणों से परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि केवल उन्हीं लोगों को खतरा ज्यादा है, जो पिछले कुछ समय में प्रभावित देशों से लौटे हैं। इसके अलावा पीड़ितों के संपर्क में आने वालों की भी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि बीमारी से बचाव के लिए पीड़ित के संपर्क में आने से बचना जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार कफ व हैंड हाइजीन से ही 80 फीसदी मामले कम किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि खांसते वक्त वायरस निकलकर हवा में फैलते हैं। ऐसे में खांसते वक्त रुमाल या कोहनी मोड़कर लगाएं। इसके अलावा एक बार हाथ मिलाने पर 115 मिलियन वायरस इधर से उधर हो जाते हैं। संदिग्ध के संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा रहता है। बीमारी से बचने के लिए हाथ मिलाने और बार-बार मुंह पर हाथ लगाने से बचें। उन्होंने बताया कि कोरोना के संदिग्ध लक्षण वाले मरीजों को आइसोलेशन में रखकर बुखार उतारने व खांसी-जुकाम ठीक करने की दवा दी जा रही है।

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चिकित्सकों की निगरानी में 10 से 15 दिन रखने पर कोरोना के लक्षण मिलने के बाद ही, सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पीड़ित के संपर्क में आए लोगों और परिजनों की जांच की जाएगी। डॉक्टरों के अनुसार अच्छी तरह धोकर पकाए गए चिकन से वायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है। डॉ. अनुराग के अनुसार भारतीय तरीके से पकाने पर वायरस के जिंदा बचने की संभावना नहीं रहती है। विदेशों में चिकन समेत अन्य मांसाहारी पदार्थों पर रोक लगाई गई है क्योंकि वहां पकाने की विधि ऐसी है, जिसमें वायरस जिंदा रह सकता है। कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए भारत सरकार ने गाइड लाइन जारी की है। इस गाइड लाइन को फॉलो करने के बाद ही मरीज के सैंपल लेकर जांच को भेजे जा सकते हैं।

दून अस्पताल के प्रभारी चिकित्साधीक्षक डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि पीड़ित के संपर्क में आए या प्रभावित देशों से लौटे लोगों को 14 दिन आइसोलेशन में रखकर मॉनिटर किया जाएगा। इन 14 दिनों में लक्षण दिखने पर ही सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे। अन्य किसी भी मरीज के सैंपल जांच के लिए भेजने की जरूरत नहीं है। कोरोना के मामलों से निपटने के लिए दून अस्पताल में दो आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। प्रभारी चिकित्साधीक्षक डॉ. एनएस खत्री के अनुसार एक वार्ड में आठ बेड लगाए गए हैं। यहां पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) पहनकर संदिग्ध का सैंपल लिया जाएगा। भर्ती की जरूरत वाले मरीजों के लिए दो वेंटिलेटर, एक्सरे सुविधा समेत 15 बेड का वार्ड बनाया गया है। कॉमन कोल्ड इंफ्लूएंजा (सीजनल फ्लू) को लेकर भ्रमित न हों। सामान्य खांसी-जुकाम के लक्षण भी कोरोना जैसे ही होते हैं। डॉक्टरों के अनुसार बिना संपर्क में आए कोरोना नहीं हो सकता।

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रखें ध्यान :
-किसी भी चीज को छूने के बाद हाथ साबुन से अच्छे से धोएं।
-अस्पताल या भीड़-भाड़ वाली जगह जाने से बचें।
-संदिग्ध लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
-संदिग्ध लक्षण महसूस होने पर घर से बाहर न निकलें।
-फिलहाल विदेश यात्रा करने से बचें।
-ऐसे पर्यटक स्थलों पर जाने से बचें, जहां विदेशी संपर्क में आ सकते हैं।
-खांसते या छींकते समय रुमाल या कोहनी मोड़कर लगाएं।
-जूस, गर्म सूप, दलिया समेत पेय पदार्थ लें। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
-गले में खराश होने पर गर्म पानी में हल्का नमक मिलाकर गरारे करें।

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