समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। गर्मियों में दोपहर की झपकी, अंग्रेजी में जिसे ‘सीएस्ट’ कहते हैं, किसे प्यारी नहीं होती! हम किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले लोग हों या विद्यार्थी या हाउसवाइफ, दोपहर में खास कर खाने के बाद नींद आना स्वाभाविक होता है। कुछ लोग अगर दोपहर में झपकी न लें तो वह सारा दिन थका हुआ और बीमार-सा महसूस करते हैं। आज कुछ लोग इसे ‘पावर नैप’ बताते हैं, जबकि हमारे समाज में हमने बचपन से सुन रखा है कि दिन में सोना एक गलत और अस्वास्थ्यकर आदत है।
आइए जाने दोपहर की नींद का राज क्या है। क्या यह सचमुच हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बुरी चीज है? दोस्तो, अक्सर हम ऐसी परस्पर विरोधी धारणाओं से कनफ्यूज हो जाते हैं, जबकि यह कोई ऐसी जटिल मामला नहीं जिसे जांचने के लिए किसी बड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञ की आवश्यकता पड़े। दोपहर की नींद के बाद आपके ऊपर पड़ने वाले प्रभावों का बारीकी से निरीक्षण कर आप खुद भी सही नतीजे तक पहुंच सकते हैं।
दोपहर में झपकी के फायदे
दिन में सोना कितना स्वाथ्यकर और कुदरती है
खैर, यह विचार करने लायक बात है कि दुनिया भर के सभी समाजों में ज्यादातर मिहनत करने वाले लोग दोपहर की एक झपकी लेना क्यों पसंद करते हैं? हमारे बायोलॉजिकल क्लॉक यानी जैविक घड़ी को कुदरत ने बहुत सोच-समझकर सेट किया होता है। दोपहर को 2 से 3 के आस-पास थोड़ी सी सुस्ती और नींद का यह अनुभव एक सहज कुदरती बात है। सुबह सवेरे जगने के बाद से लेकर दोपहर तक शरीर की मांसपेशियां और न्यूरॉन्स थोड़े थक चुके होते हैं और उन्हें रिचार्ज की आवश्यकता हो जाती है। उस वक्त नींद का आना इसी बात का संकेत है।
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना, स्कूल ऑफ मेडिसीन में नींद पर शोध करने वाले प्रोफेसर मैथ्यू टकर (डंजजीमू ज्नबामत) के शोध निष्कर्षों की मानें तो दोपहर की संक्षिप्त नींद हमारी याददाश्त क्षमता को बढ़ाती है। उन्होंने लोगों के दो समूह बनाए। एक समूह को दिन में 45 मिनट की नींद लेने दी गई, जबकि दूसरे समूह को जगाए रखा गया। फिर दोनों समूह के लोगों की याददाश्त की जांच की गई।
दोपहर की नींद पर दुनिया भर में कई शोध हुए हैं। इन्हीं शोधों के आधार पर आइए जानें दोपहर की झपकी के कौन से फायदे हैं
दोपहर में सोने के फायदे
आपकी कार्यक्षमता बढ़ती है
शोधकर्ताओं का मानना है दिन में आधे घंटे से लेकर अधिकतम डेढ़ घंटे तक की नींद हमारे अंदर इतनी ताजगी और स्फूर्ति पैदा करती है कि हम दिन में देर तक बिना थके काम कर सकते हैं।
चीजों पर ध्यान देने की क्षमता बढ़ती है
दोपहर की संक्षिप्त नींद के बाद न्यूरॉन्स के तरोताजा हो जाने से हम किसी भी चीज पर अपना फोकस अधिक कर पाते हैं।
आपका मूड अच्छा रहता है
दोपहर की नींद आपके चिड़चिड़ेपन को दूर कर आपको अच्छा अनुभव कराती है। आप तरोताजा महसूस करते हैं और समस्याओं का सामना अधिक धैर्य से कर पाते हैं।
तनाव में कमी आती है
नींद से तनाव के ट्रिगर शिथिल पड़ जाते हैं। चाहे किसी भी वजह से हम तनाव में हो दिन में एक छोटी सी संक्षिप्त नींद भी उसमें कुछ न कुछ कमी जरूर लाती है। आपने यह खुद भी अनुभव किया होगा।
हमसे गलतियां कम होती हैं
सुबह से लेकर दोपहर तक काम करते हुए हमारे मस्तिष्क और शरीर के अंगों के बीच तालमेल में शिथिलता आने लगती है, जिससे शरीर के अंगों के स्तर पर हमारी ‘डिसीजन मेकिंग’ क्षमता थोड़ी घट जाती है। दोपहर की झपकी इसमें सुधार लाती है।
हमारी याददाश्त अच्छी होती है
दिन में सोने और न सोने वाले लोगों की याददाश्त के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव पर किए गए मैथ्यू टकर के शोध की चर्चा हम ऊपर कर चुके हैं।
शरीर की रोधकता बढ़ती है
दोपहर की नींद हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत कर रोगों से लड़ने की हमारी क्षमता में इजाफा करती है। जो लोग दिन में संक्षिप्त नींद लेकर अपने शरीर के हर अंग को आराम देते हैं उन्हें सर्दी-फ्लू आदि अनेक वायरल समस्याओं का कम सामना करना पड़ता है।
युवापन देर तक बना रहता है और आयु बढ़ती है
दोपहर की नींद शरीर की कुदरती एंटीऑक्सीडेंट प्रक्रिया को मजबूत करती है। यह न केवल हमारी त्वचा की कोशिकाओं के क्षय में कमी लाकर झुर्रियों को हावी होने से देर तक रोकती है, बल्कि आंतरिक अंगों को अनावश्यक थकान से बचाकर उनकी क्रियाशील आयु बढ़ाती है और मनुष्य को अधिक उम्र तक गुणवत्तापूर्ण जिंदगी जीने में मदद मिलती है।
दिन में सोने के नुकसान
दोपहर की झपकी किसे नहीं लेनी चाहिए और दिन में सोने में कौन से एहतियात बरतना चाहिए
जाहिर है दिन में सोने को लेकर हमारी पुरानी धारणा को बदलने का वक्त आ गया है। यहां दिलचस्प होगा यह जानना कि दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियां दोपहर की नींद की कायल रही हैं। ऐसी हस्तियों में ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का नाम लिया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे, दोपहर की नींद के ये फायदे हमें कुछ एहतियातों के साथ मिलते हैं। अब आइए एक नजर डालें उन एहतियातों पर –
- कम मिहनत करने वाले, निष्क्रिय जीवनशैली वाले या अधिक मोटे लोगों के लिए दोपहर की नींद नुकसानदेह है। अनिद्रा या इनसोम्निया की समस्या वाले लोगों को तो दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। सुबह देर से जगने वालों के लिए भी दिन की नींद किसी काम की नहीं।
- स्वस्थ व्यक्ति को कभी भी दिन में डेढ़ घंटे से अधिक नहीं सोना चाहिए। आम तौर पर दोपहर में आधे से एक घंटे तक की नींद पर्याप्त होती है। देर तक ली गई नींद शरीर को आलसी और सुस्त बनाती है।
- संभव हो तो दिन में नींद लेने के लिए कम रोशनी वाली शांत जगह चुनें।
- दिन में सोने के लिए 1 बजे से 3 बजे के बीच का वक्त उपयुक्त होता है।
- रात की नींद पूरी कर लेने के 4 घंटे बाद, या रात में सोने के चार घंटे पहले कोई नींद न लें।
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