148 वर्ष बाद अद्भुत संयोग, शनि जयंती के दिन ही साल का पहला सूर्य ग्रहण: डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

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ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है शनि देव का जन्मोत्सव

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि यानी 10 जून को विशेष संयोग पड़ने वाला है। इस दिन सूर्य और शनि का अद्भुत योग बनेगा जो इससे पहले 148 वर्ष पूर्व देखने को मिला था। शनि जयंती के दिन ही साल का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। हालांकि, इस बार लगने वाला ग्रहण भारत में बिल्कुल भी दिखाई नहीं देगा। ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और न किसी राशियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण दोपहर एक बजकर 42 मिनट से आरंभ होकर शाम 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगा। वलयकार सूर्यग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी अमेरिका में दिखाई पड़ेगा। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जिन राशियों पर चल रही है उनके पास अच्छा मौका है शनिदेव को प्रसन्न करने का। शनि जयंती के दिन ही सूर्य ग्रहण का संयोग भी पड़ रहा है। कुल 148 वर्ष बाद यह संयोग देखने को मिलेगा. इससे पहले 26 मई, 1873 में पड़ा था। इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण, वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में पड़ने वाला है। मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह को माना गया है इस समय वक्री शनि मकर राशि में है और उनकी दृष्टि मीन व कर्क राशि में विराजमान मंगल ग्रह पर है। शनि को सूर्यपुत्र कहा गया है। शनि जयंती के दिन साढ़ेसाती और ढैय्या वालों को विशेष पूजा करनी चाहिए। शनि जिस राशि में विराजमान होते हैं। उसके आगे और पीछे की राशि व उस राशि पर भी शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है। ऐसे में इस समय शनि मकर में स्थित है। वहीं इनके पहले की राशि धनु और बाद की राशि कुंभ पर साढ़ेसाती जारी है। इसके अलावा जिस राशि में शनि स्थित होते हैं उसके षष्ठम और दसवीं राशि पर शनि की ढैया चलती है। ऐसे में फिलहाल मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि की ढैया जारी है। यही कारण है कि इन्हें और बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनि जयंती पर विशेष पूजा-अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करनी चाहिए। शनि देव के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। धार्मिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी के भक्तों पर शनि की बुरी नजर नहीं पड़ती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि देव का जन्म हुआ था इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार शनि जयंती 10 जून 2021 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। शनि को देव और ग्रह दोनों का दर्जा दिया गया है। इनके विषय में मान्यता है कि ये पल भर में रंक को राजा और राजा को भी रंक बना सकते हैं। ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है। ज्यादातर लोग शनि का नाम सुनकर ही घबरा जातें हैं क्योंकि इनको लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। इन्हें मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है किंतु ये मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। ये बुरे कर्म करने वालों के लिए दंड नायक हैं तो अच्छे कर्म करने वालों को शनिदेव अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं, इसलिए इन्हें न्यायधीश और कर्मफलदाता कहा जाता है।
शनिदेव सूर्य पुत्र हैं परंतु फिर भी इनकी पूजा सदैव सूर्याेदय से पहले या फिर सूर्यास्त के बाद ही की जाती है। धार्मिक कथाओं के अनुसार शनिदेव की अपने पिता से वैरभाव रखते हैं।
शनिदेव के कई मंदिर पूरे भारतवर्ष में बने हुए हैं लेकिन महराष्ट्र के शिंगणापुर में बना शनि मंदिर खास महत्व रखता है माना जाता है यह शनिदेव का जन्मस्थान है। यहां पर गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में शनिदेव सदैव बिना छत्र के रहते हैं। उनकी प्रतीकात्मक शिला एक खुले स्थान पर स्थापित है।
शिव जी शनिदेव के गुरु हैं इसलिए शिव जी की पूजा आराधना करने वाले पर शनिदेव अपनी कुदृष्टि नहीं करते हैं।
हनुमान भक्तों पर भी शनिदेव अपनी अशुभ दृष्टि नहीं डालते हैं। इस विषय में पौराणिक कथा मिलती है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था।
शनि देव सूर्य के पत्नी छाया के पुत्र हैं, इनके भाई यम और मनु हैं और इनकी बहन यमुनाजी हैं। शनिदेव अपनी बहन यमुना से विशेष प्रेमभाव रखते हैं।
शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से भ्रमण करने वाले ग्रह हैं। शनै-शनै चलने के कारण इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार शनि तुला राशि में उच्च और मेष राशि में नीच रहते हैं। मकर और कुंभ राशि के ये स्वामी हैं।
इनका वर्ण काला है और ये नीले वस्त्र धारण करते हैं। ये गिद्ध पर सवारी करते हैं। इनके एक हाथ में धनुष तो दूसरा हाथ वरमुद्रा में रहता है। इनका अस्त्र लोहे का इसलिए लोहा इनकी धातु मानी गई है।
शनि जयंती शुभ मुहूर्त : ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी, जोकि 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।

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