चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि कब है और इस दिन कन्या पूजन कैसे की जाती है

खबर शेयर करें

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व पर मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। इसकी शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना से हुई थी, जिसका समापन अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन से होता है।

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी दोनों ही तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। बता दें कि आठवें दिन मां गौरी की पूजा होती है और नवमी पर मां सिद्धिदात्री को पूजा जाता है और इसी के साथ नवरात्रि का समापन होता है। तो चलिए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि कब है और इस दिन कन्या पूजन कैसे की जाती है।

यह भी पढ़ें -   चीन सीमा में शहीद हुए उत्तराखंड निवासी आईटीबीपी निरीक्षक, परिजनों में मचा कोहराम

कब है अष्टमी और नवमी तिथि?
चैत्र नवरात्रि 2024 की शुरुआत 9 अप्रैल दिन मंगलवार से हुई थी और इसका समापन 17 अप्रैल नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ होगा। हालांकि कुछ लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं, तो कुछ नवमी तिथि पर ऐसे में दोनों तिथि पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त जानते हैं।

अष्टमी तिथि
पंचांग के मुताबिक चैत्र माह की नवरात्रि की अष्टमी तिथि 15 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से होगी और इसका समापन 16 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक 16 अप्रैल महाअष्टमी मनाई जाएगी। ऐसे में जो लोग अष्टमी तिथि में कन्या पूजन करते हैं वह 16 अप्रैल को कर सकते हैं।

नवमी तिथि
पंचांग के मुताबिक महानवमी की तिथि 16 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी जो 17 अप्रैल की दोपहर 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि के मुताबिक 17 अप्रैल को महानवमी मनाई जाएगी। जो लोग नवमी तिथि में कन्या पूजन करते हैं वह 17 अप्रैल को कर सकते हैं। यह नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। वहीं चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है।

यह भी पढ़ें -   दो लौंग के सेवन करने से कई गंभीर बीमारियों से को मात दी सकती है

कैसे करें कन्या पूजन, क्या है विधि?

  • कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन के लिए बुलाएं।
  • कन्याओं के घर आने पर एक-एक कंजक यानी कन्या का पैर पानी से धोएं फिर उन्हें आसन पर बिठाएं।
  • इसके बाद सभी को रोली या कुमकुम और अक्षत से तिलक करें और कलाई में कलावा बांधे।
  • फिर इनके लिए बनाए गए खाने को परोसें।
  • उन्हें प्रसाद के रूप में फल, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं दें।
  • सभी कन्याओं के पैर छूकर कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440