देहरादूनः त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति पर उठे सवाल, समाधान के लिए कमेटी गठित

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समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में नगर निकायों की तरह त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार जिले को छोड़कर) का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है। पंचायती राज सचिव ने ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारियों, क्षेत्र पंचायतों में उपजिलाधिकारियों और जिला पंचायतों में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किया है। लेकिन यह फैसला क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों और ग्राम प्रधानों को रास नहीं आ रहा है। उन्होंने मांग की है कि जिला पंचायत की तर्ज पर उन्हें भी प्रशासक नियुक्त किया जाए।

प्रशासक व्यवस्था की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन
पंचायती राज सचिव के निर्देश पर इस मांग का अध्ययन और समाधान के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी के अध्यक्ष पंचायती राज विभाग के अपर सचिव युगल किशोर पंत होंगे, जबकि निदेशक निधि यादव और संयुक्त सचिव हिमानी जोशी बतौर सदस्य शामिल होंगी।

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कमेटी 9 दिसंबर तक सौंपेगी रिपोर्ट
गठित कमेटी 9 दिसंबर तक प्रशासक नियुक्ति व्यवस्था का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर हुआ फैसला
पंचायती राज सचिव ने बताया कि तीन दिसंबर को प्रमुख और क्षेत्र पंचायत संघ उत्तराखंड ने ज्ञापन सौंपा था, जबकि चार दिसंबर को प्रदेश प्रधान संगठन ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 के प्रावधानों के तहत कमेटी का गठन किया गया।

क्या है विवाद की वजह?
26 नवंबर को ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी और क्षेत्र पंचायतों में उपजिलाधिकारी को प्रशासक नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया था। वहीं, 30 नवंबर को जिला पंचायतों में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों को प्रशासक की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों और ग्राम प्रधानों ने समान रूप से प्रशासक नियुक्त किए जाने की मांग उठाई।

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आगे की प्रक्रिया पर नजर
कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों और ग्राम प्रधानों की मांग पर कार्रवाई होगी। फिलहाल, पंचायत स्तर पर प्रशासकों की नियुक्ति के बाद प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चल रहे हैं, लेकिन मांगों के समाधान की उम्मीद से पंचायत प्रतिनिधियों की नजर कमेटी की रिपोर्ट पर टिकी है।

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