समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। देवशयनी एकादशी से लेकर कब तक योगनिद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु और कब से कब तक नहीं होंगे शादी-विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य, जानें देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, किस्मत चमकाने वाली पूजा का महाउपाय और सभी जरूरी नियम।


हिंदू धर्म में जगत के पालनहार माने जाने वाले भगवान विष्णु की पूजा के लिए एकादशी तिथि को सबसे उत्तम माना गया है। साल भर में पड़ने वाली तमाम एकादशी में देवशयनी और देवउठनी एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी यानि देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी यानि देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु योग निद्रा के लिए चले जाते हैं और इन चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। आइए उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष पं. रमेश सेमवाल से 10 जुलाई 2022 को पड़ने जा रही देवशयनी एकादशी महापर्व का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महाउपाय आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
चार महीने पाताल लोक में क्यों रहते हैं भगवान विष्णु
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि और उसके बाद सिर्फ दो पग में ही पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया और तीसरे पग को रखने के लिए राजा बलि से पूछा तो उसने अपना सिर आगे रख दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक दे दिया और उनसे वर मांगने को कहा तो उन्होंने श्री हरि से कहा कि जिस तरह आप देवताओं के साथ देवलोक में निवास करते हैं, उसी तरह आप मेरे साथ भी कुछ दिन तक पाताल लोक में निवास करें। इसके बाद भगवान विष्णु सभी देवी-देवताओं के साथ जिस दिन पाताल लोक पहुंचे तो वह दिन देवशयनी एकादशी का दिन था।
भगवान विष्णु की योग निद्रा से जुड़ी कथा
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार योगनिद्रा ने भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए कड़ी तपस्या की. जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने जब उससे वर मांगने को कहा तो उसने खुद को अपने अंगों में स्थान देने को कहा। इसके बाद भगवान विष्णु ने योगनिद्रा को अपनी आंखों में स्थान देते हुए कहा कि साल के चार महीने तुम मेरे आंखों में रहेगी. मान्यता है कि जिन चार महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, उन चार महीनों तक भगवान शिव सृष्टि संचालन का कार्य करते हैं।
देवशयनी एकादशी पर बन रहा है ये शुभ योग
पंचांग के अनुसार इस साल देवशयनी एकादशी 09 जुलाई को सायंकाल 04.39 से प्रारंभ होकर 10 जुलाई 2022 को दोपहर 02.13 तक रहेगी। 10 जुलाई को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी के दिन प्रातःकाल रवि योग प्रातःकाल 05.31 से 09.55 तक रहेगा।
देवशयनी एकादशी का महाउपाय
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए यदि संभव हो तो प्रातःकाल सूर्याेदय से पहले उठकर गंगा स्नान करना चाहिए और यदि आप गंगा तट पर न जा पाएं तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और उसके बार इस व्रत का संकल्प करें. इसके बाद भगवान विष्णु को दूध-दही, शहद, शक्कर, घी और गंगा जल से स्नान कराकर विधि-विधान से पूजा करें। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए। एकादशी के दिन विशेष रूप से गाय को केले खिलाना चाहिए।
देवशयनी एकादशी पर न करें ये काम
सनातन परंपरा में सभी मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करने वाली एकादशी तिथि पर कुछेक कार्यों को करने की मनाही है, जैसे इस दिन चावल का प्रयोग न तो पूजा में और न ही खाने-पीने के लिए करना चाहिए. इसी प्रकार इस दिन खाने-पीने में तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और न ही बाल और नाखून आदि काटाना चाहिए।
कब से शुरु होंगे मांगलिक कार्य
सनातन परंपरा में देवशयनी एकादशी के दिन देवताओं के शयन करते ही सभी शुभ कायों पर रोक लग जाती है। ऐसे में 10 जुलाई 2022 को पड़ने जा रही देवशयनी एकादशी से गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे सभी मांगलिक कार्य रुक जाएंगे. इसके ठीक चार महीने बाद जब देवतागण 04 नवंबर 2022 यानि देवउठनी एकादशी के दिन सोकर उठेंगे तब तब एक बार फिर सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगाी।


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