गणेश चतुर्थी को रात का चांद देखने पर क्या लगता है झूठा कलंक, जानें दोष दूर करने का उपाय

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हर साल की तरह गणपति की पूजा से जुड़ा गणेश चतुर्थी का पावन पर्व भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा। ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश के जन्म से जुड़ी यह पावन तिथि इस साल 19 सितम्बर 2023 को पड़ेगी और इसी दिन से 10 दिनी गणपति उत्सव की शुरुआत होगी। गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा करते समय कुछ नियमों को विशेष रूप से ध्यान रखना होता है, अन्यथा शुभ की बजाय अशुभ फल की प्राप्ति होती है। गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखना बुरा अशुभ माना गया है, लेकिन यदि गलती से दिख जाए तो इससे लगने वाले दोष से बचने के लिए क्या करना चाहिए, आइए इसे विस्तार से जानते हैं।

तब लगता है झूठा कलंक
हिंदू धर्म में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस तिथि की रात को चंद्र दर्शन करने पर व्यक्ति को भविष्य में झूठा कलंक लगने का भय बना रहता है। ऐसे में व्यक्ति को गणेश चतुर्थी पर इस दोष से बचने के लिए भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए।

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चंद्र दोष से जुड़ी कथा
गणेश चतुर्थी पर जिस चंद्रमा को देखने पर व्यक्ति को भविष्य में तमाम तरह के दोष लगने का खतरा बना रहता है, उससे जुड़ी एक पौराणिक कथा का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि जब भगवान श्री गणेश जी अपने पिता शिव और माता पार्वती की परिक्रमा करके प्रथम पूज्यनीय कहलाए तो सभी देवी-देवताओं ने वंदना की, लेकिन चंद्रदेव ने अपने रूप एवं सौंदर्य का अभिमान करते हुए ऐसा नहीं किया। इससे नाराज होकर भगवान गणेश ने चंद्रमा को काले होने का श्राप दे दिया। इसके बाद जैसे ही चंद्रमा को अपनी गलती का भान हुआ तो उन्होंने तुरंत गणपति से माफी मांगी और इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। तब गणपति ने कहा कि जैसे-जैसे सूर्यदेव का प्रकाश उन पर पड़ेगा, वैसे-वैसे उनका तेज स्वरूप वापस लौट आएगा। चूंकि यह घटना गणेश चतुर्थी के दिन घटी थी, इसलिए इस तब से इस दिन चंद्र दर्शन निशेध हो गया।

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इस उपाय से दूर होगा चंद्र दोष
यदि गणेश चतुर्थी पर गलती से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तो बिल्कुल घबराएं नहीं और इस दोष को दूर करने के लिए सबसे पहले सभी विघ्न-बाधा दूर करने वाले गणपति की फल-फूल चढ़ाकर पूजा करें और उसे चंद्रमा को दिखाते हुए किसी गरीब व्यक्ति को दान करें. साथ ही साथ भविष्य में लगने वाले कलंक से बचने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करें।

‘‘सिंहः प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येषः स्यमन्तकः।।’’

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