समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। गंगा दशहरा पर्व, ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष दशमी को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा भगीरथ की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर राजा भगीरथ के साठ हजार पुरुखों का तारण करने के लिए स्वर्ग से भूलोेक में गंगा का पदार्पण हुआ। लोककल्याण हेतु स्वर्ग से भूलोक में अवतरण होने के कारण ही हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है। लाखों लोग ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा का आभार व्यक्त करने के लिए गंगा के पवित्र जल में स्नान करके खुद को पाप मुक्त करने की प्रार्थना करते हैं। इस वर्ष गंगा दशहरा 20 जून 2021 के दिन मनाया जाएगा।
इस दिन को संवत्सर का मुख भी कहा जाता है।
स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए, इससे वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। ऐसे में यह भी कहा जाता है कि यदि कोई मनुष्य पवित्र नदी तक नहीं जा पाता तब वह अपने घर पास की किसी नदी पर स्नान करें।
नारद पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास को मंगलवार के दिन शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में जाह्नवी (मां गंगा) का मृत्युलोक में अवतरण हुआ। इस दिन वह आद्यगंगा स्नान करने पर दस गुने पाप हर लेती हैं।
‘ज्येष्ठे मासि क्षितिसुतदिने शुक्लपक्षे दशम्यां हस्ते शैलादवतरदसौ जाह्नवी मृत्युलोकम्। पापान्यस्यां हरति हि तिथै सा दशैषाद्यगंगा पुण्यं दद्यादपि शतगुणं वाजिमेधक्रतोश्च’।
भविष्य पुराण में लिखा हुआ है, जो मनुष्य दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार गंगा स्तोत्र को पढ़ता है दरिद्र धनी हो जाता है और असमर्थ सामर्थ्यवान हो जाता है। इस दिन प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर मां गंगा के मंत्र ‘ऊं नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’ का एक हजार बार जप करना चाहिए।
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