गीता उपदेश: श्रीमद्भगवद गीता में छिपा है जीवन की हर परेशानी का हल, दूर होगी सारी टेंशन

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद गीता का विशेष महत्व है और लगभग हर घर में गीता मिलेगी. खास बात है कि गीता केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय है और कई जगह इसे लाइफ मैनेजमेंट के रूप में पढ़ाया जाता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुछ उपदेश दिए हैं जिन्हें अपनाकर लोग सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं। गीता में जीवन की हर समस्या का हल छिपा हुआ है। आइए जानते हैं गीता के कुछ महत्वपूर्ण उपदेशों के बारे में जिनमें जीवन की हर समस्या का समाधान निहित है।

  • गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति अपने सभी सांसारिक सुखों का त्यागकर अपना ध्यान मुझमें लगाता है उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। सफलता हासिल करने के लिए आपको अपनी बुद्धि स्थिर रखनी होगी।
  • गीता में कहा गया है कि मनुष्य को अपना कर्म करते समय कभी लाभ-हानि के बारे में नहीं सोचना चाहिए। केवल इस बात पर फोकस करना चाहिए कि हम जो भी कार्य कर रहे हैं उसे पूरी ईमानदारी से करें। फिर उसका फल चाहें कुछ भी हो। क्योंकि ईमानदारी से कार्य करने से ही मन को संतुष्टि मिलती है।
  • मनुष्य सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के बाद इधर-उधर भटकता रहता है लेकिन उसे यह नहीं पता कि असली सुख तो मन के भीतर होता है। इसलिए अपने मन पर काबू रखना बेहद जरूरी है। क्योंकि जो व्यक्ति अपनी बुरी भावनाओं पर नियंत्रण कर सकता है उसे जीवन में सुख प्राप्त होगा।
  • गीता के अनुसार कर्म ही पूजा है और व्यक्ति को अपने कर्म पर फोकस रखना चाहिए। कर्म करते उसके फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। जो लोग कर्म करने से पहले ही उसके अच्छे-बुरे फल के बारे में सोचकर कर्म करना छोड़ देते हैं उन्हें मूर्ख समझा जाता है। इसलिए कर्म करते रहिए फल की इच्छा मत करिए। क्योंकि अच्छे कर्म और मेहनत का फल भी हमेशा अच्छा ही होता है।

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