


समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। चंद्रमा अन्य ग्रहों के साथ मिलकर कई शुभ-अशुभ योग बनाता है। ऐसा ही एक अशुभ योग है ग्रहण योग। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये अशुभ योग होता है, उसकी मानसिक स्थिति पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आगे जानिए इस योग से जुड़ी खास बातें –
कब बनता है चंद्रमा का ग्रहण योग?
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में यदि चंद्रमा और राहु का संबंध हो तो इससे चंद्र ग्रहण योग का निर्माण होता है। इससे व्यक्ति पर मानसिक रूप से प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा के साथ राहु के संबंध से चंद्रमा दूषित हो जाता है जिससे व्यक्ति को मन में नकारात्मक, काल्पनिक ख्याल आने लगते हैं। व्यक्ति को मानसिक समस्याएं होने लगती हैं।



कार्यक्षेत्र पर भी पड़ता है प्रभाव
कुंडली में चंद्रमा और राहु का योग बनने पर व्यक्ति की नींद में बाधा पड़ने लगती है। उसे बुरे ख्याल और सपने आने लगते हैं। इसके साथ ही ये लोग हर कार्य को लेकर आशंकित होने लगते हैं चाहें वह नौकरी, व्यापार का हो या फिर पारिवारिक जीवन का। इस योग के कारण व्यक्ति के मन में अपने जीवनसाथी को लेकर शक और वहम पैदा होने लगता है।
ग्रहण योग के अशुभ फल को कम करने के उपाय –
- जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और राहु का योग हो तो उसे नियमित रूप से भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।
- सोमवार को शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए और शिवमंत्रों का जाप करना चाहिए।
- सोमवार को भगवान शिव को खीर का भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।
- चंद्रमा की मजबूती के लिए पूर्णिमा का व्रत रखना भी शुभफलदायी रहता है। (साभार: उज्जैन)

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