
समाचार सच, हल्द्वानी/देहरादून। सोमवार को गुरुद्वारों में श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस कथा-कीर्तन के रूप में पूर्ण श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। जहां हल्द्वानी के श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के शहीदी पर्व पर सोमवार को गुरद्वारा श्री गुरु नानकपुरा में गुरमीत समागम का आयोजन किया गया। वहीं देहरादून में गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा आढ़त बाजार के तत्ववाधान में रखे गये श्री अखण्ड पाठ साहिब जी के भोग डाले गये।


इस मौके पर हल्द्वानी के गुरद्वारा श्री गुरु नानकपुरा में सुबह गुरु साहिब की बानी नौवें महले के श्लोक का पाठ किया गया। उसके बाद प्रभु सिंह ने व रागी सिंह ने कीर्तन किया। जसपाल सिंह और दलजीत सिंह ने कीर्तन की हाजरी भरी। समागम में दिल्ली से आए प्रचारक डॉ. मनप्रीत सिंह ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन मे प्रकाश डाला। बताया कि गुरु तेग बहादुर बचपन से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। श्री गुरु तेगबहादुर जी सिखों के नौवें गुरु हैं। जिन्होंने धर्म व मानवता की रक्षा करते हुए हंसते-हंसते अपने प्राणों की कुर्बानी दी। इसलिए इस दिन को गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और उनकी शहादत को याद किया जाता है। कहा कि गुरु साहिब की शहीदी पूरी मानवता के लिए थी न कि किसी धर्म विशेष के लिए। अमृतसर से आए अमनदीप सिंह व उनके साथियों ने कीर्तन सीस दिया पर सार न दिया तो अपने सतगुरु के बलहारे… आदि शब्दों का गायन किया। उसके बाद मुख्य सेवादार अमरजीत सिंह बिंद्रा ने समूह संगत का धन्यवाद किया। कार्यक्रम के अंत में संगत ने गुरु का लंगर छका।
कार्यक्रम का संचालन हरजीत सिंह सच्चर ने किया। कार्यक्रम में रंजीत सिंह, नरेंद्र जीत सिंह, अमरजीत सिंह, जसपाल सिंह मालदार, अमरजीत सिंह सेठी, परमजीत सिंह, प्रभजोत सिंह, जसबीर कौर, रवलीन कौर, बलजीत कौर रोजी आदि ने सहयोग किया।
देहरादून में गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा आढ़त बाजार के तत्ववाधान मे श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस कथा-कीर्तन के रूप मे पूर्ण श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। प्रातः नितनेम के पश्चात भाई चरणजीत सिंह ने आसा की वार का शबद ‘तेग बहादुर सिमरीऐ, घर नौ निध आवै धाये’ एवं ‘नानक लीन भयो गोबिंद सिऊं, जिऊं पानी संग पानी’ का गायन किया। हेड ग्रंथी भाई शमशेर सिंह ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब ने अपनी बाणी के द्वारा समझाया कि एक परमात्मा सच्चा है बाकी संसारिक जीव आने जाने वाले हैँ, हर प्राणी क़ो धर्म के अन्दर पक्के रहने का उपदेश दिया एवं हमेशा प्रभु के भय मे रहने का उपदेश दिया। गुरु जी ने स्वयं मानवता के भले के लिये हिन्दू धर्म की रक्षा हेतू अपनी शहादत दिल्ली की धरती चांदनी चौक में दी। कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात संगत ने गुरु का लंगर छका।

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