
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। मनुष्य की जन्मकुंडली में शुभ और अशुभ दोनों योगों के माध्यम से उसके भाग्य का विश्लेषण किया जाता है। ये योग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के होते हैं। ज्योतिष में ऐसे ही एक अशुभ योग की चर्चा की गई है जिसका नाम है केमद्रुम योग। कहा जाता है अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में केमद्रुम है तो फिर शुभ योगों का फल भी निष्क्रिय हो जाता है। यह योग चंद्रमा ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण किसी व्यक्ति की कुंडली में बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार रहता है। उसको अज्ञात भय लगा रहता है। साथ ही उसको जीवन में कई बार आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है।
इस तरह बनता है कुंडली में केमद्रुम योग
अगर किसी मनुष्य की कुंडली में चंद्रमा किसी भी भाव में अकेला बैठा हो (उससे आगे या पीछे के भाव में कोई ग्रह न हो) और चंद्रमा के ऊपर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो केमद्रुम योग बनता है। यहां पर देखने वाली बात यह भी होती है कि चंद्रमा किस राशि में स्थित है और उसके अंश क्या हैं। अगर चंद्रमा की डिग्री कमजोर है तो इस स्थिति में यह अशुभ योग होने पर भी बहुत प्रतिकूल नहीं होता है।
मानव जीवन पर केमद्रुम योग का प्रभाव
इस योग के कारण व्यक्ति को मानसिक बीमारी होने की संभावना होती है। व्यक्ति भ्रमित रहता है। सही निर्णय नहीं ले पाता। चंद्रमा के कमजोर होने से पेट संबंधी समस्याएं रहती हैं। केमद्रुम योग होने से व्यक्ति को दरिद्रता का सामना करना पड़ता है। साथ ही इस योग के कारण व्यक्ति स्वभाव से शक्की और चिड़चिड़ा हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में धन को लेकर खूब उतार चढ़ाव होते हैं। यह योग कर्क , वृश्चिक और मीन लग्न में ज्यादा ख़राब होता है।
केमद्रुम योग कुंडली में, आजमाएं ये उपाय
1- सोमवार का व्रत रखें। साथ ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
2- प्रत्येक शनिवार शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
3- सोमवार को हाथ में एक चांदी का कड़ा धारण करें।
4- शुभ मुहूर्त में कनकधारा यंत्र को पूजा स्थल में स्थापित कर प्रतिदिन कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें.
5- एकादशी का व्रत रखें।






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