आयुर्वेद में जटामांसी से होता है कई बीमारियों का इलाज, जानें इसके फायदे और नुकसान

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। आयुर्वेद में न जानें कितनी जड़ी बूटियों का जिक्र होता है। उन्हीं में से एक जड़ी बूटी है जटामांसी। जैसे बालछड़ या स्पाइक्नाड के नाम से भी जाना जाता है। सिर के दर्द से जुड़ी कैसे भी समस्या हो आयुर्वेद में इसका इलाज जटामांसी को माना जाता है। बता दें कि पहाड़ों में पैदा होने वाली जटामांसी कै चूर्ण और जड़े दवाइयों के रूप में प्रयोग होती हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि जटामांसी के फायदे और नुकसान क्या हैं। पढ़ते हैं आगे…

सिर दर्द को कैसे करें दूर
सिर से संबंधित किसी भी समस्या को जटामांसी के माध्यम से दूर किया जा सकता है। बता दें कि कान के पास दर्द, आंखों के पास दर्द आदि दर्द को भी इस जड़ी बूटी की मदद से दूर किया जा सकता है। इसके लिए जटामांसी के साथ सोंठ, कूठ, देवदारू आदि को समान मात्रा में देसी घी के साथ मिलाएं और अपने सिर पर लगाएं दर्द में आराम मिलेगा।

चिंता से करें बचाव
जटामांसी जड़ी-बूटी के अंदर चिंता को दूर करने के गुण पाए जाते हैं। ये ना केवल बेचैनी को कम करता है बल्कि कंपकपाहट, दिल के स्तर को सामान्य करना, घबराहट आदि को भी नियंत्रित करता है। ऐसे में इसके अंदर तनाव को कम करने क गुण भी पाए जाते हैं।

बालों की जड़ों में लाए मजबूती
यह बालों के लिए बहुत अच्छा है इसके प्रयोग से रूसी की समस्या को दूर किया जा सकता है। ये बालों को चिकना, रेशमी, मोटा व स्वस्थ बनाया जा सकता है। इसमें आपको रात में जटामांसी के चूर्ण को पानी में भिगोना होगा और सुबह मंदी आंच पर पकाना होगा। अब पके हुए मिश्रण को उतारकर उसमें एक पाव तिल का तेल और जटामांसी की चटनी को मिला कर फिर पकाना होगा। पकाने के बाद जब लेत थोड़ा सा रह जाए तो उसे उतारें और बालों की जड़ों पर लगाएं। ऐसा करने से बालों की झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी। साथ ही नए रेशमी, चमकदार बाल लौट आएंगे।

पेट दर्द को करें कम
बता दें कि जटामांसी के अंदर एंटीस्पेज्मोडिक गुण पाए जाते हैं, जिससे पेट के दर्द को और गैस की समस्या को दूर किया जा सकता है। ऐसे में जटामांसी के साथ चौथाई भाग सौंठ, दालचीनी मिलाएं। और चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को दिन में दो बार सेवन करें। ऐसा करने से पेट के दर्द की समस्या दूर हो जाएगी।

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अनिद्रा की समस्या से बचाव
अगर आपको नींद ना आने की परेशानी है तो जटामांसी इस समस्या को भी दूर करने में कारगर है। इसके लिए सोने से एक घंटा पहले जटामांसी की जड़ों के चूर्ण को ताजे पानी के साथ लें। ऐसा नियमित रूप से करने पर नींद में सुधार और अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

मिर्गी के लिए फायदेमंद
बता दें कि जटामांसी तांत्रिका तंत्र में हॉर्माेन को संतुलित करती है। इस तरह जो लोग मिर्गी से परेशान हैं उन्हें इसके सेवन से स्ट्रोक का खतरा नहीं रहता है। ध्यान दें कि जटामांसी पाउडर को अकेले प्रयोग में नहीं लाते हैं। इसका सेवन आयुर्वेद की दवाइयों के साथ किया जाता है।

जटामांसी के अन्य फायदे –

  • जटामांसी के चूर्ण से मालिश करने पर पसीना नहीं आता है।
  • अगर जटामांसी को पीसकर आंखों के ऊपर लेप की तरह लगाया जाए तो भी बेहोशी की समस्या दूर हो जाती है।
  • यदि किसी व्यक्ति को दातों का दर्द है तो जटामांसी के जड़ का चूर्ण मंजन की तरह प्रयोग करना होगा। ऐसा करने से दांतों में खून, मुंह में बदबू, मसूड़ों में दर्द, दांतों में दर्द आदि समस्याएं दूर की जा सकती है।

जटामांसी के नुकसान –
कहते हैं किसी चीज की अति अच्छी नहीं होती। ऐसा ही कुछ जटामांसी के साथ भी है। इसका अधिक सेवन करने से शरीर में नकारात्मक बदलाव नजर आ सकते हैं जो कि निम्न प्रकार है-

  • जिन लोगों का हाई ब्लड प्रेशर रहता है उन्हें इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए।
  • पीरियड्स के दौरान इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से परेशानी हो सकती है।
  • अगर इसका सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए तो शरीर में एलर्जी की परेशानी भी हो सकती है।
  • जो लोग इस का ज्यादा सेवन करते हैं उनमें उल्टी, दस्त जैसी बीमारियों के लक्षण भी नजर आ सकते हैं।

अगर कम उम्र में बालों में सफेदी आने लगे तो ये टेंशन की बड़ी वजह बन जाता है, पहले 40 से 45 उम्र के पार लोगों के बाल सफेद होते थे, लेकिन अब यंग एज ग्रुप के लोगों को भी ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से आपके बाल लंबे वक्त तक डार्क रहेंगे और ये सिल्की और शाइनी भी बनेंगे।

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बालों के लिए करें जटामांसी का इस्तेमाल
बालों को सफेद होने से बचाने के लिए हमें कोई महंगे प्रोडक्ट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। आयुर्वेद में इसका खजाना छिपा हुआ है। जटामांसी नामक जड़ी बूटी से न सिर्फ बाल हेल्दी और स्ट्रॉन्ग बनेंगे, बल्कि इससे सफेद बालों का खतरा भी कम हो जाएगा।

जटामांसी का तेल है फायदेमंद
जटामांसी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसके तेल का इस्तेमाल किया जाए तो बालों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि ये एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। जटामांसी की जड़ों से इसका तेल निकाला जाता है। इसे आप डायरेक्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। हलांकि इसके साथ आंवला, भृंगराज और ब्राह्मी को मिला लिया जाए तो इसका असर और ज्यादा बेहतर हो जाता है। इस तेल के जरिए बालों को बेहतर पोषण मिलता है और हेयर फॉल क समस्या भी दूर हो जाती है।

जटामांसी का पाउडर भी लाभकारी
जटामांसी का तेल उपलब्ध न हो तो इसके पाउडर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जटामासी को पाउडक को नीम के तेल या नारियल तेल के साथ मिलाकर सिर पर लगा सकते हैं। कुछ ही दिनों में इसका असर दिखने लगेगा।

जटामांसी के 6 फायदे –

  1. जटामांसी के इस्तेमाल से बालों को मजबूती मिलती है।
  2. ये जड़ी बूटी बालों को डार्क बनाए रखने में मदद करती है।
  3. जटामांसी से बालों की ग्रोथ बेहतर हो जाती है।
  4. जटामांसी के इस्तेमाल से हेयर फॉल रुक जाते हैं।
  5. जटामांसी के तेल से बाल शाइनी हो जाते हैं।
  6. जटामांसी के लगातार इस्तेमाल से बालों की उम्र बढ़ जाती है।

कंट्रोल में रहेगा सीबम का प्रोडक्शन
बालों जड़ों से सीबम का प्रोडक्शन होता है, जो हेयर ग्रोथ के लिए काफी अहम है, अगर प्रदूषण या केमिकल प्रोडक्ट्स की वजह से ये ज्यादा या कम बनने लगे तो इसके लिए जटामांसी का इस्तेमाल जरूर करें। इससे कमजोर बालों को गजब की मजबूती मिलती है।

कम उम्र में बाल नहीं होंगे सफेद
अगर आप चाहते हैं कि कम उम्र में बाल सफेद न हों तो जटामांसी के तेल से रेगुलर सिर पर मालिश करें करें, क्योंकि आजकल 25 से 30 के उम्र में बाल पकने शुरू हो जाते हैं और ये तेल आपकी चिंता को दूर कर सकता है।

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