बाएं हाथ का इस्तेमाल किसी भी मांगलिक कार्य में करना अशुभ माना गया है

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। सनातन धर्म में दाएं हाथ का विशेष महत्त्व माना गया है। हिंदू धर्म में दाएं हाथ का इस्तेमाल ही लगभग सभी मांगलिक कार्यों में किया जाता है। पूजा हवन में आहुति देने से लेकर भगवान का प्रसाद लेने तक सभी कार्य में दाएं हाथ का ही इस्तेमाल किया जाता है। सनातन धर्म में बाएं हाथ का इस्तेमाल किसी भी मांगलिक कार्य में करना अशुभ माना गया है। धर्म शास्त्रों में ऐसा क्यों है? चलिए जानते है इसके पीछे का कारण।

पूजा में दाएं हाथ का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र की माने तो दाएं हाथ पर सूर्य नाड़ी का प्रतिनिधित्व होता है। इसलिए जिस भी कार्य में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता रहती है, वहां दाहिने हाथ का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं बायां हाथ चंद्र नाड़ी का प्रतीक है, जिसके लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इन कारणों से ही हिंदू धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि जिस कार्य में कम ऊर्जा की आवश्यकता हो उसमें बायां हाथ और जहां अधिक ऊर्जा की जरुरत हो उसमें दायां हाथ इस्तेमाल करना चाहिए।

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पूजा में दाएं हाथ का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिकों का मानना है कि व्यक्ति के शरीर का दायां भाग बाएं भाग से काफी अधिक मजबूत होता है। यही वजह है कि सरल और साधारण काम बाएं हाथ से किये जाते है। एक अन्य वजह यह भी है कि मनुष्य का दिल भी बायीं तरफ होता है, जो भाग काफी नाजुक होता है। इसलिए साधा कार्य ही इस हाथ से होते है।

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पूजा में दाएं हाथ का एक और अन्य कारण
दरअसल अधिकांश लोग शौच आदि के लिए बाएं हाथ का ही इस्तेमाल करते है। शरीर की गंदगी स्वच्छ करने के लिए बाएं हाथ का इस्तेमाल अधिकतर होता है, इसलिए हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों में स्वच्छता प्रमुख रखते हुए इस हाथ से पूजा-पाठ करना शुभ नहीं माना गया है।

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