जानिए मौत का दस्तावेज कोह-ए-नूर है किस देश में …

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समाचार सच. रोचक तथ्य डेस्क। उल्लाउद्दीन खिलजी ने मालवा पर आक्रमण कर मणि हथिया ली। लम्बे समय तक मणि दिल्ली के बादशाहों के पास बनी रही। इब्राहिम लोदी की पराजय के बाद वह हीरा, जिसे ऊपर मणि लिखा गया है, लोदी की बेगम के पास पहुंचा। उसे लेकर बेगम आगरा चली आई। वहां हुमायूं ने उस पर हमला बोल दिया। इज्जत बचाने के लिए बेगम ने उसे हुमायूं को दे दिया। कई पीढ़ी वह हीरा मुगल बादशाहों के पास रहा। मुगल बादशाह मुहम्मदशाह पर नादिरशाह ने हमला बोल दिया। बादशाह की पगड़ी में छिपा हीरा झपटकर नादिरशाह ने ले लिया। वह चिल्ला उठा-कोह-ए-नूर अर्थात प्रकाश का पर्वत। नारिदशाह को उसके भतीजे अलीकुली खाँ ने मार डाला। अफगान सेनापति अहमदशाह अब्दाली ने अलीकुली खाँ का काम तमाम कर कोहनूर कब्जा लिया। अब्दाली के बाद उसका बेटा तैमूरशाह हीरे का मालिक बना।
तैमूर अपने पीछे 23 बेटे छोड़ गया। सत्ता संघर्ष में जमानशाह जीता। हीरा छीनने के लिए उसके भाई महमूदशाह ने उसे जेल में डलवा दिया और आँखं निकलवा दी। महमूदशाह को कुचल कर शाहशूजा ने हीरा पाया। शाहशूजा जब कैद में था तो मदद के लिए उसने महाराजा रणजीतसिंह से गुहार लगाई और बदले में कोहनूर हीरा देने का वायदा भी किया। हीरा रणजीतसिंह के हाथ आ गया। शेरे पंजाब रणजीतसिंह के सभी भाई-भतीजे, बेटा-पोते, एक-एक कर मरते गए। पंजाब पर ब्रिटिश राज के बाद कोहनूर इंग्लैण्ड चला गया।
अंग्रेज कोहनूर की भयावहता से परिचित थे। उन्होंने उसके दो टुकड़े किए और एक राजमुकुट पर जड़ दिया। बंकिंगघम पैलेस में रखा वह मुकुट केवल राज्यारोहण पर ही पहना जाता है। बीसवीं सदी के मध्य तक कहावत प्रचलित थी कि ब्रिटिश राज में कभी सूर्यास्त नहीं होता है। बिडम्बना देखिए, 58 देशों (कामनवेल्थ) पर राज करने वाले ब्रिटिश ताज से सभी देश मुक्त हो गए। ब्रिटेन ग्रेटब्रिटेन न रहकर वेल्स, आयरलैण्ड, इग्ंलैण्ड तक सिमट गया। हजारों को मरवा देने, कई राजवंशों को मटियामेट कर देने और यूनियन जैक का गरूर ध्वस्त कर देने वाले कोहनूर का अगला शिकार कौन बनता है- मालूम नहीं।
हाल में पाकिस्तान ने कोहनूर पर अपना हक जताया है। यदि पाकिस्तान कोहनूर पा जाता है तो कहीं उसका भी ऊपर जैसा हश्र्र न हो। (साभार: जीवन से पहले मृत्यु के बाद? लेखक-शक्ति प्रसाद सकलानी)

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