समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी के पौधे को सनातनी लोग न सिर्फ पूजते है बल्कि अधिकांश गंभीर बीमारियों में इलाज के तौर पर भी उपयोग में लेते हैं। धर्म-शास्त्रों में तुलसी को धन की देवी अर्ताथ विष्णु प्रिया मां लक्ष्मी के प्रतीक के तौर पर वर्णित किया गया है। तुलसी को हरिप्रिया के नाम से भी पहचाना जाता है। कहा जाता है कि, तुलसी के बिना भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी कोई भी भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों में तुलसी को पूज्यनीय माना गया है। यही वजह है कि, अशुद्ध अवस्था में तुलसी को छूना देवी लक्ष्मी का अपमान होता है। इसलिए भूलकर भी तुलसी के पौधे के पास गंदे कपड़े सुखाने और चप्पल पहनकर नहीं जाएं। इसके अलावा प्रतिदिन तुलसी पर दीपक प्रज्ज्वलित करें, जिससे नर्कमुक्ति मिलती है।
तुलसी से जुड़े ज्योतिष टिप्स
- तुलसी पर हर रोज शाम के समय दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए। कहते हैं ऐसा करने पर साधक को नर्क से मुक्ति मिलती है।
- तुलसी पर दीपक प्रज्ज्वलित करने के बाद तुलसी दल की तीन परिक्रमा अवश्य करें। इससे जीवन में सुख-शांति आती है।
- रविवार के दिन तुलसी के पौधे में जल अर्पित नहीं करें और तुलसी पत्तियां भी नहीं तोड़े। इससे मां लक्ष्मी का अपमान होता है।
तुलसीदल और गंगाजल बासी होने पर क्या करें?
स्कंद पुराण के मुताबिक, बासी फूल और बासी जल से पूजा करना देवी-देवताओं का अपमान होता है। लेकिन तुलसी दल के साथ ऐसा नहीं हैं। पहले से तोड़कर रखी गई तुलसी और पहले से संचित कर रखा गया गंगाजल बासी अथवा अपवित्र नहीं माना जाता है। इसलिए इन्हें पूजा में उपयोग ले सकते है।
तुलसीदल से मिलते हैं सुख-दुःख के संकेत
आपके घर में तुलसीदल है, और वह हर दिन पानी देने पर भी सूख रहा है तो यह आपके घर में दुखों के आने का संकेत है। इसलिए तुलसी को सूखने से बचाने के लिए तुलसी की जड़ में हल्दी और गंगाजल डालें। इस उपाय को करने से तुलसीदल कभी ख़राब नहीं होगा और तुलसी सूखने से बच जायेगी।
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