आइए जानते हैं कुंडली के नवम भाव में राहु हो तो क्या फल देता है

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समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। नवम भाव में स्थित राहु जातक को अच्छा जीवनसाथी प्रदान करता है। जातक और उसके जीवनसाथी के बीच प्रेम बना रहता है। कुंडली के नवम भाव में शुभ राहु जातक को अच्छी नौकरी प्रदान करते हैं और उसका व्यवसाय भी ठीक ठाक ही चलता रहता है। लेकिन यदि इस भाव में राहु खराब प्रभाव में हो तो जातक का कद नाटा हो सकता है।

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नवम भाव में स्थित राहु का फल
वैदिक ज्योतिष में जन्मकुंडली के नवम भाव को भाग्यस्थान भी कहा जाता है, इस भाव से जातक की आध्यात्मिक प्रगति, भाग्योदय, जातक की बुद्धिमत्ता, गुरू व परदेश गमन को देखा जाता है। कुंडली का नवम भाव पुस्तक लेखन, तीर्थ यात्रा, भाई की पत्नी और जातक के दूसरे विवाह के बारे में भी बताता है। जानिए राहु के नवम भाव में होने के प्रभाव।

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जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु होने पर जातक परिश्रमी और ईश्वर पर विश्वास करने वाला होता है। ऐसे जातक कृपालु, गुणवान और अपने परिवार को स्नेह करने वाला होता है। ऐसे जातकों को तीर्थाटन और साधु संतों की सेवा में बहुत आनंद प्राप्त होता है। नवम भाव में राहु विराजमान होने पर जातक अत्याधिक विद्धवान होता है और अपने सदगुणों के कारण लोगों में सम्मान प्राप्त करता है। उसके आसपास के लोग जातक का बहुत सम्मान करते हैं।

कुंडली के नवम भाव में राहु जातक को बहुत कीर्तिमान बनाते हैं, जातक का देवताओं और तीर्थों के प्रति श्रद्धा और विश्वास होता है। वह दान और पुण्य कर अपने जीवन में यश और कीर्ति प्राप्त करता है। ऐसे जातक पर यदि कोई उपकार करता है तो जातक जीवन भर उस एहसान को नहीं भूलता। नवम भाव में राहु जातक को अत्याधिक चतुरता प्रदान करते हैं जिससे जातक अपनी चतुराई से भरी सभा में लोगों को आश्चर्य में डाल सकता है।

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नवम भाव में राहु वाले जातक सुधारवादी विचार वाले होते हैं वे समाज की उन्नति कल्याण के लिए जीवन भर प्रयत्नशील रहते हैं। उन्हें कोई भी कार्य बीच में छोड़ना पंसद नहीं होता।

नवम भाव में राहु अगर खराब प्रभाव में हो तो जातक पाप कर्मों की ओर अग्रसर होता है। धर्म और ईश्वर की ओर आस्था में कमी करता है। ऐसे जातकों को ऐसी स्थिति से बचाव करना चाहिए। उन्हें सदैव अच्छे वस्त्र धारण करना चाहिए और अपने मित्रों और भाईयों से संबंध अच्छे रखने चाहिए।

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