Lohri festival: 13 or 14 when is Lohri festival, know the exact date, auspicious time, importance and customs associated with it
समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। नए साल की शुरुआत के बाद से ही सभी को लोहड़ी पर्व (Lohri parv) का बेसब्री से इंतजार रहता है। वैसे तो इसे देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन लोहड़ी सिख और पंजाबी समुदाय का विशेष पर्व होता है और इसकी धूम उत्तर भारत में सबसे अधिक देखने को मिलती है। लोहड़ी पर पारंपरिक गीतों, पारंपरिक पोशाक में सजे-धजे महिलाएं-पुरुष, भांगडा और गिद्दा करते हुए आग में गेंहू की बेलियां, मूंगफली, गुड़, तिल आदि डालकर परिक्रमा (Parikrama by putting wheat earrings, peanuts, jaggery, sesame etc. in the fire) करते हैं, नाचते-गाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं.
आमतौर पर लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को ही मनाया जाता है लेकिन मकर संक्रांति की तरह इस साल लोहड़ी की डेट को लेकर भी लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है. कुछ लोगों के अनुसार लोहड़ी की डेट 13 जनवरी बताई जा रही है तो वहीं कुछ लोग 14 जनवरी को लोहड़ी बता रहे हैं। जानते हैं क्या है लोहड़ी की सही तारीख।
13 या 14 जनवरी कब है लोहड़ी?
मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को है और लोहड़ी 14 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। शनिवार 14 जनवरी को ही लोहड़ी की पूजा होगी और उत्सव मनाया जाएगा। वहीं पूजा के लिए 14 जनवरी रात 08.57 का समय शुभ रहेगा।
लोहड़ी पर्व का महत्व
लोहड़ी का पर्व फसलों से जुड़ा हुआ है इसलिए किसान के लिए लोहड़ी को सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. किसानों के लिए लोहड़ी नववर्ष होता है। इसके साथ ही लोहड़ी पर्व से कई पौराणिक कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। इसमें दुल्ला भट्टी की कहानी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लोहड़ी पर्व में पवित्र अग्नि जलाई जाती है और इसके चारों ओर सभी लोग इकट्ठा होते हैं। अग्नि की पूजा की जाती है और इसमें पॉपकॉर्न, तिल, मूंगफली, रेवड़ी आदि जैसी सामग्रियां डालते हैं। मान्यता है कि नवविवाहित दंपति और नवजात की पहली लोहड़ी बहुत खास होती है।
लोहड़ी पर्व की पौराणिक कहानी
लोहड़ी का पर्व से जुड़ी दुल्ला भट्टी की पौराणिक कहानी के अनुसार, मुगल काल में अकबर के शासन के समय दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक पंजाब में रहता था। दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की उस समय रक्षा कि, जब लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। दुल्ला भट्टी ने वहां पहुंचकर लड़िकयों को अमीर सौदागरों के चंगुल से छुड़वाया और उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई थी। तब से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा और हर साल हर लोहड़ी पर दुल्ला भाटी से जुड़ी यह कहानी सुनाई जाती है।
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