समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। थार के द्वार कहे जाने वाले चूरू में ऐसे-ऐसे औषधीय और गुणकारी पौधे मिलेंगे जिनका आर्युवेद में काफी महत्व है। ऐसा ही एक पौधा है आक जिसका धार्मिक ही नही बल्कि आर्युवेद में भी काफी महत्व है। आर्युवेद चिकित्सक डॉक्टर संजय तंवर बताते हैं बंजर से बंजर जमीन में स्व ही ऊगने वाला ये पौधा अपनी विशेषताओं के लिए काफी मशहूर है भीषण सर्दी और गर्मी में भी आक का पौधा जीवित रह सकता है।


तंवर बताते आक के जितने फायदे हैं उतने ही नुकसान भी है इसके उपयोग से पहले कुछ शर्तें है जिसके अनुसार ही इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में ही किया जाना आवश्यक है.आक का फूल छोटा, सफेद और कटोरीनुमा आकार का होता है. साथ ही लाल व बैंगनी रंग की चित्तियां होती हैं। आक के पौधे की जड़ में मंडारएल्बन और फ्युएबिल नामक रसायन पाया जाता है. यह पौधा कई बीमारियों के इलाज के लिए कारगर है।
दूर होते हैं दर्द
आक के रस (आक का दूध) में खास प्रकार के शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जिनकी मदद से कान दर्द को दूर किया जा सकता है। आप रुई के साथ एक या दो बूंद कान में डाल सकते हैं।
सर दर्द में राहत
आक के पत्तों में कुछ खास प्रकार के तत्व शामिल होते हैं, जिनकी मदद से सिरदर्द को दूर किया जा सकता है। आक के पत्तों को पीस लें और उनका लेप सिर पर लगाएं।
संक्रमण से बचाता
आक के रस में अनेक प्रकार के एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा पर होने वाली सूजन, लालिमा व जलन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही इसका एंटी बैक्टीरियल प्रभाव कई प्रकार के संक्रमणों को बढ़ने से रोकता है।
झुर्रियां मिटाने में कारगर
हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिला लें। इसका लेप चेहरे पर लगाएं, इससे त्वचा मुलायम होती है। ध्यान रहे इसे आंख पर न लगने दें. जिनकी त्वचा पहले से मुलायम है और चेहरे पर निखार लाना चाहते हैं तो उन्हें आक के दूध के स्थान पर आक का रस इस्तेमाल करना चाहिए।


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