समाचार सच, नैनीताल। उत्तराखंड के नेताओं और पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए हाईकोर्ट से राहत भरी खबर सामने आई है। शुक्रवार, 27 जून को हुई अहम सुनवाई में उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पंचायत चुनावों पर लगी रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को पूर्व में घोषित चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाकर नया कार्यक्रम जारी करने के निर्देश दिए हैं।


मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाते हुए राज्य सरकार से याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए सवालों पर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को भी कहा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी प्रत्याशी को आपत्ति है, तो वह न्यायालय में अपनी बात रख सकता है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह मुद्दा भी उठाया गया कि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव एक समान तरीके से होते हैं, लेकिन दोनों के लिए आरक्षण लागू करने में अंतर क्यों है। देहरादून के डोईवाला ब्लॉक का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वहां ग्राम प्रधानों की 63 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गईं, जिससे असंतुलन की स्थिति बन गई।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि कई पंचायत क्षेत्रों में एक ही वर्ग को लंबे समय से प्रतिनिधित्व मिल रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 243 और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के खिलाफ है।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता और मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान रोस्टर को निरस्त किया गया है और इस पंचायत चुनाव को प्रथम चरण के रूप में माना जाना जरूरी था।
इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चुनावी सरगर्मी एक बार फिर तेज हो गई है। उम्मीदवारों और उनके समर्थकों में हाईकोर्ट के फैसले के बाद जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।




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