कौन से हाथ में बांधना चाहिए कलावा? किस दिन खोलना होता है शुभ, क्या जानते हैं आप

खबर शेयर करें

समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हिंदू धर्म में कलावा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। सनातन धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। आज हम आपको कलावा बांधने से जुड़े कई बड़े रहस्य उजागर करने जा रहे हैं। इस लेख को पढ़कर आप जान पाएंगे कि कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए, उसे कब खोलना चाहिए। पुराने कलावा को कहां रखना चाहिए और इसके फायदे क्या हैं।

कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?
यजनश्री ट्विटर हैंडल के अनुसार, कलावा किस हाथ में बांधें, इसे लेकर लोग असमंजस में रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग हाथों में कलावा बांधना चाहिए। पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को दाहिने हाथ में कलावा बांधने का विधान है। जबकि विवाहित महिलाओं को हमेशा बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।

कलावा कलाई पर कितनी बार लपेटना चाहिए?
कलावा बंधवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कलाई पर इसे तीन, पांच या सात बार लपेटा गया हो। कलावा बांधते समय कभी भी हाथ खाली नहीं होना चाहिए। ऐसे में जिस हाथ में कलावा बांधा जा रहा है उसमें एक सिक्का रखें तथा उसके बाद दूसरे हाथ को सिर पर रखें। कलावा बांधने के बाद वह सिक्का कलावा बांधने वाले व्यक्ति, पंडित जी को दे दें।

किस दिन खोलना चाहिए कलावा?
रक्षा सूत्र या कलावा किसी भी दिन या किसी भी समय नहीं खोलना चाहिए, क्योंकि इसे बांधने से जातक की रक्षा होती है। कलावा या रक्षा सूत्र खोलने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन सबसे सही माना जाता है। पुराना कलावा खोलने के बाद पूजा घर में बैठकर दूसरा कलावा बांध लेना शुभ होता है।

यह भी पढ़ें -   हल्द्वानी में उत्तराखंड क्रांति दल ने निकाली तांडव रैली, भू-कानून और अन्य मांगों के लिए दिया ज्ञापन

पुराना कलावा कहां रखें?
पुराना कलावा खोलने के बाद उसे यहां-वहां कहीं भी नहीं फेंकना चाहिए, कलावा निकालकर या तो पीपल के पेड़ के नीचे रखें या फिर किसी बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए।

सेहत के लिए उपयोगी है कलावा
स्वास्थ्य के दृष्टि से भी रक्षासूत्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे कई प्रकार के शारीरिक पीड़ाएं दूर रहती हैं। आयुर्वेद शास्त्र में बताया गया है कि शरीर के कई मुख्य नसें हमारी कलाई से होकर निकलती हैं, ऐसे में जब इस स्थान पर रक्षासूत्र बांधा जाता है, तब इसके दबाव से त्रिदोष अर्थात वात, पित्त और कफ से जुड़ी समस्या कई हद तक दूर रहती है। इसके साथ मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप इत्यादि जैसी गंभीर बीमारियों पर भी बहुत हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

ज्योतिष दृष्टि से कैसे उपयोगी है रक्षासूत्र?
ज्योतिष शास्त्र में भी रक्षासूत्र के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई है. बताया गया है कि कलाई पर लाल या केसरी रंग का रक्षासूत्र बांधने से कुंडली में मंगल का अशुभ प्रभाव कम होने लगता है और जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कुछ ज्योतिष विद्वान काले रंग का धागा धारण करने की सलाह देते हैं। कुछ लोग इसे कलाई पर तो कुछ पैर में बांधते हैं। बता दें कि इसे शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है और इससे शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है.।

यह भी पढ़ें -   पिथौरागढः शराब की दुकान के सेल्समैन की हत्या का खुलासा, दो आरोपी गिरफ्तार

कलावा बांधने के फायदे तथा महत्व

  • तीन धागों का यह सूत्र त्रिदेवों व त्रिशक्तियों को समर्पित हो जाता है। इस रक्षा-सूत्र को संकल्पपूर्वक बांधने से व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।
  • यह मौली किसी देवी या देवता के नाम पर भी बांधी जाती है जिससे संकटों और विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा होती है। यह मंदिरों में संकल्प के लिए भी बांधी जाती है।
  • मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा तथा शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है। इसी प्रकार लक्ष्मी से धन, दुर्गा से शक्ति एवं सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है।
  • कलावा बांधने से उसके पवित्र और शक्तिशाली बंधन होने का अहसास होता रहता है और इससे मन में शांति तथा पवित्रता बनी रहती है। व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते तथा वह गलत रास्तों पर नहीं भटकता है. कई अवसरों पर इससे व्यक्ति पाप कार्य करने से बच जाता है।
  • कमर पर बांधा गये रक्षा सूत्र के संबंध में विद्वान लोग कहते हैं कि इससे सूक्ष्म शरीर स्थिर रहता है तथा कोई दूसरी बुरी आत्मा आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है. यह काला धागा भी होता है। इससे पेट में किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440