बैंकों के विलय का विरोध, दो दिनी हड़ताल शुरू

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हड़ताल में प्रदेशभर से करीब 2500 बैंक शाखाओं के करीब 22 हजार अधिकारी और कर्मचारी शामिल

देहरादून/हल्द्वानी। बैंक अधिकारी-कर्मचारियों की नौ यूनियनों के आह्वान पर सरकारी बैंकों में दो दिन की हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल में प्रदेशभर से करीब 2500 बैंक शाखाओं के करीब 22 हजार अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए। हालांकि हड़ताल के दौरान सभी निजी बैंक खुले रहे। उधर, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक ने नैतिक समर्थन दिया। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से सभी बैंक अधिकारी और कर्मचारी आज परेड ग्राउंड में एकत्र हुए। कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

यूनियन के पदाधिकारी प्रमोद रंजन कुकरेती ने कहा कि वह 27 महीने से वेतन बढ़ोतरी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। वार्ताओं के 36 दौर होने के बावजूद अभी तक सरकार और बैंक प्रबंधन का हिस्सा आईबीए किसी भी प्रकार का समाधान नहीं निकाल पाएं हैं। कर्मचारी आंदोलन से बैंकों के विलय और निजीकरण का विरोध कर रहे थे। पांच दिवसीय बैंकिंग, नई पेंशन स्कीम के स्थान पर परिभाषित पेंशन, पेंशन का नए वेतन मान के साथ एडजस्टमेंट, पारिवारिक पेंशन में बढ़ोतरी उनकी प्रमुख मांगें हैं। उत्तराखंड ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन ने हड़ताल को नैतिक समर्थन दिया है। संगठन के सचिव भुवनेंद्र बिष्ट ने कहा कि तकनीकी कारणों से ग्रामीण बैंकों की राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त मोर्चा यूएफ आरआरबीयू द्वारा इस हड़ताल के समर्थन में नोटिस न दे पाने के कारण हड़ताल में सहभागिता नहीं की जा रही है। यूएफ आरआरबीयू की सात फरवरी 2020 को होने वाली बैठक के बाद आगामी आंदोलन में पूर्ण सहभागिता करने का निर्णय लिया जा सकता है।

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बैंककर्मियों का 11वां वेतन समझौता एक नवंबर 2017 से लंबित है। इस हड़ताल में आईसीआईसीआई, यस बैंक, एचडीएफसी, इंडसंड बैंक, एक्सिस बैंक सहित सभी प्राइवेट बैंक शामिल नहीं हुए। हड़ताल में ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इंप्लाइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए), बैंक इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई), नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू), नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) यूनियन शामिल हईं।

हल्द्वानी में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की दो दिनी हड़ताल के आह्वान पर शुक्रवार को बैंक कर्मियों ने एसबीआई की मुख्य शाखा पर प्रदर्शन किया और अपनी मांगें उठाई। बैंक कर्मियों की हड़ताल के चलते करोड़ों का लेनदेन प्रभावित रहा। अपनी विघ्भिन्न मांगों को लेकर बैंक कर्मचारी एसबीआई की मुख्य शाखा के बाहर एकत्र हुए। जहां उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और धरना दिया।

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि जहां एक ओर सरकार अपनी सफलता का ढ़ोल पीट रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था धराशायी है। बैंकों की देशव्यापी हड़ताल से साबित होता है कि कहीं न कहीं बैंकों में आज भी असंतोष है। कहा कि कई बार समझौते होने के बाद भी सरकार उन पर अमल नहीं कर रही है। जिससे सरकार के प्रति बैंक कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि 2017 का वेतन समझौता प्रस्ताव अभी तक लंबित है। कई बार हुई वार्ताओं के बाद भी सरकार उसे मंजूरी प्रदान नहीं कर रही है। सरकार के बैंक कर्मचारियों के प्रति अड़ियल रवैया को देखते हुए आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। कर्मचारियों ने 2017 से रुका वेतन समझौता लागू करने, बैंकों का निजीकरण रोकने, श्रम कानूनों में संशोधन न करने, बैंकों में रिक्त पदों के सापेक्ष भर्ती करने, पुरानी पेंशन योजना को लागू कर एनपीएस को खत्म करने, खराब ऋण खाता से वसूली करने, बैंकों में पांच दिनी बैंकिंग प्रणाली को लागू करने, सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारियों की पेंशन में संशोधन करने की मांग प्रमुखता से उठाई। वक्ताओं ने कहा कि यदि इस हड़ताल के बाद भी सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो 11 से 13 मार्च तक हड़ताल की जाएगी। यदि इसके बाद भी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जायेगी।

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इस दौरान उत्तराखंड बैंक एंप्लाइज यूनियन के सहायक मंत्री केएन शर्मा पीए, योगेश पंत, टीएस पांगती, महेश पांगती, सनी कोहली, राजू, गौरव गोयल, जगदीश बिष्ट, हेमलता पांडे, लोकेश गुरूरानी, सचिन बल्दिया, पीसी पंत, मोहित वर्मा, राजेंद्र सिंह भोजक, महेंद्र सिंह, अनुराग सिंह, विनोद सिंह, गौरव आर्या, संजय जोशी, गिरीश बिष्ट, चित्रा नगदली, संजय पाटनी, हरगोविन्द सिंह, मनोज पुजारा, केदार सिंह, जगत सिंह बिष्ट, राकेश तिवाड़ी, विपिन भट्ट, जीवन सिंह समेत कई कर्मचारी शामिल रहे।

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