समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। आजकल तनाव मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है। जहां छोटे-मोटे और क्षणिक तनाव हमें कुछ करने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं लगातार तनाव की अवस्था हमें रोगी बना देती है जिसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। तनाव लक्षण के आधार पर वैचारिक, शारीरिक, अहसास या व्यवहार के स्तर पर हो सकता है।


तनाव के लक्षण हैं –
-घबराहट, चिड़चिड़ापन, अशांति, डर लगना, चिंतित रहना, मूडी होना या व्याकुल रहना।
-अधीर होना, नशीले पदार्थों की गिरफ्त में आना, भूख कम या ज्यादा लगना, बार-बार रोने की इच्छा होना, बोलने में दिक्कत होना।
-अनियमित नींद, सिरदर्द, पीठदर्द, गरदन दर्द आदि का बराबर होते रहना, हाथ-पांव ठंडा हो जाना या पसीना-पसीना हो जाना, मुंह सूखना, सर्दी – जुकाम का लगातार हेाते रहना, इंफेक्शन, थकान, दिल का जोरों से धड़कना, सांसों का तेज चलना।
-अपने आप को छोटा व बुरा समझना, भविष्य की चिंताओं में खोए रहना, हर वक्त असफलता का डर, जल्दी भूलने की प्रवृत्ति, ध्यान लगाने व निर्णय लेने में परेशानी।
उपरोक्त लक्षणों में से तीन-चार लक्षणों का होना भी तनाव की उस स्थिति को दर्शाता है जहां हमें तुरंत इससे बचने के उपाय शुरू कर देने चाहिए।
तनाव से बचने के लिए –
- हर समस्या के प्रति सकारात्मक रूख अपनाइये।
-समस्या के समाधान के लिए और लोगों से भी बात कीजिए।
-विशेषज्ञों की राय पर अमल करनेक ा प्रयास कीजिए।
जिस चीज पर अपना वश न हो, उस बारे में बेकार चिंतन करने से बचने का प्रयास करना ही बेहतर है।
-एरोबिक्स, स्ट्रेचिंग, योगा आदि का नियमित अभ्यास लाभकारी है।
-दिल खोल कर हंसना भी अतन्यत उपयोगी है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और अतिरिक्त टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते है।
-वर्तमान में जीने की आदत डालने चाहिए।
-प्रत्येक खराब स्थिति के लिए खुद को दोष न दें। - खुद की क्षमता पर विश्वास रखें।
-अपने प्रशंसक खुद बनें।
-हर बात को निजी तौर पर लेने से परहेज करें।


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