आत्म-तृप्ति तो श्रीहरि की महिमा श्रीमद्भागवत रूपी कथा ही कर सकती है: व्यास सुशील महाराज

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प्रवचन के दौरान व्यास सुशील महाराज की मधुर वाणी से उपस्थित श्रद्धालुजन हुए भावविभोर

समाचार सच, हल्द्वानी। श्री काल भैरव सन्यासाश्रम समिति के तत्वावधान में श्री पिप्लेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में शनिवार को व्यास सुशील महाराज ने सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए पुराण हैैं। भगवान व्यास जी का मन 17 पुराणों की रचना के बाद भी प्रसन्न नहीं था। मनुष्य की आत्मिक शान्ति के लिए भगवान व्यास जी ने नारद जी की प्रेरणा व श्रीगणेश जी के आशीर्वाद से श्रीमद्भागवत जी की रचना की। क्योंकि आत्म-तृप्ति तो श्रीहरि की महिमा श्रीमद्भागवत रूपी कथा ही कर सकती है।
महाराज सुशील मिश्र ने प्रसंग सुनाते हुए कहा कि धन से लोभ और मोह, आसक्ति बढ़ती है। बुआ कुन्ती को जब इस बात का ज्ञान हुआ कि श्रीकृष्ण ही श्री हरि हैं तो बुआ कुन्ती ने श्रीकृष्ण से वर मांगा कि दुनिया भर के दुःख मुझे मिलें। श्रीकृष्ण के पूछने पर बुआ कुन्ती ने कहा कि जब दुःख होता है तभी हरि का सुमिरन याद आता है। हरिनाम बिना सब जीव दुःखारी।
प्रवचन के दौरान व्यास सुशील महाराज की मधुर वाणी से उपस्थित श्रद्धालुजन भावविभोर हो उठे। कथा में पूजा श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के परमाचार्य महेश चन्द जोशी ने सम्पन्न कराया। कथा के अंत में महिला मण्डली द्वारा सुंदर भजन की प्रस्तुति पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजक मण्डल मोहन सिंह बोरा, दिलीप मेहरोत्रा, पुष्कर सिंह बिष्ट, दिनेश खुल्वे, देवेन्द्र प्रसाद शाह, हरीश चन्द्र बेलवाल, नरेश जोशी, गोपाल बेलवाल, राजेन्द्र डोंगरा, जगदीश भगत, हरिप्रिया यति सहित भारी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

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