समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरद पूर्णिमा व्रत करने से सुख-संपदा का आगमन होता है। इस दिन कोजागरी पूजा भी की जाती है।
शरद पूर्णिमा 2024 कब है- हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ होगी और 17 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय- शरद पूर्णिमा के दिन चांद निकलने का समय शाम 05 बजकर 04 मिनट है।
शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए-
- शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में खीर को रखा जाता है। मान्यता है कि चांद की किरणों से खीर में अमृत खुल जाता है। चांदनी रात में खीर रखने से सेहत को लाभ होता है।
- शरद पूर्णिमा के दिन हनुमान जी के सामने चौमुखा दीपक जलाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं।
- शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-संपदा का आगमन होता है।
- इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
- शरद पूर्णिमा के दिन गरीब या जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए-
- शरद पूर्णिमा के दिन मन में नकारात्मक विचारों को नहीं लाना चाहिए।
- इस दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए।
- शरद पूर्णिमा के दिन गुस्सा भी नहीं करना चाहिए।
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- शरद पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन काले रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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