समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। पहले के समय में ही नहीं बल्कि आज भी ज्यादातर लोगों के जीवन में शगुन और अपशगुन महत्व रखता है। बहुत बार ऐसा होता है जब किसी काम के लिए जाते वक्त कोई छींक दें या बिल्ली रास्ता काट जाए तो लोग इसे अपशगुन मान लेते हैं। बेशक इन बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता,मगर लोगों के मन में शगुन और अपशगुन को लेकर कई सारी मान्यताएं हैं।


खैर, पितृपक्ष के दिनों में कौए को ग्रास दिया जाता है। कहा जाता है कि कौए पितर का रूप होते हैं। आज कौए से जुड़ी कुछ ऐसी मान्यताओं एंव शकुनशास्त्र के आधार जान लेते हैं कि कब कौए का दिखना शुभ और कब कौए दिखना अशुभ माना जाता है।
पीछे की तरफ कौए की आवाज
यदि आपके पीछे की ओर कौए की आवाज सुनाई दे तो समझ जाइएगा कि आपकी कई सारी परेशानियां जल्द ही खत्म होने वाली हैं। वहीं चोंच से जमीन खोदते हुए कौए को देखना भी धन लाभ का संकेत होता है।
कौए का झुंड
यदि आपकी घर की छत पर अचानक कौए का झुंड आकर बहुत तेज आवाज में बोलने लगे तो यह अपशगुन माना जाता है।
सुबह के समय
यदि सुबह के समय घर के सामने आपको कौआ बोलता हुआ नजर आए तो इसे किसी चीज के लिए शुभ संकेत माना जाता है। कहा जाता है कि अगर कौआ ऐसे सुबह के वक्त बोले तो घर पर कोई मेहमान आने वाला है। इसके अलावा ये मान-सम्मान और धन आगमन की ओर भी इशारा करता है।
पानी पीते हुए कौआ
अगर आप कहीं रास्ते में जा रहे हैं और इस बीच कौआ आपको पानी पीते हुए नजर आए तो समझ जाए आपको धन लाभ होने वाला है। साथ ही आपको अपने कार्य में सफलता भी मिलेगी। इसी के साथ कौआ अपनी चोंच में रोटी का टुकड़ा दबाए हुए नजर आए तो यह भी धन लाभ होने का संकेत होता है।
महिला के सिर पर कौआ बैठना
किसी भी महिला के अगर सिर पर कौआ विराजमान हो जाए तो उस महिला के पति के ऊपर संकट आने की ओर इशारा करता है। साथ ही अगर कौआ बहुत तेज-तेज से चिलाए या अपने पंखों को जोर-जोर से फडफ़ड़ाए तो यह भी बेहद अपशगुन माना जाता है।
नोट: ये सभी बातें मान्यताओं पर आधारित है।


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