कई वर्ष बाद हो रहा है ऐसा संयोग, आप देख सकेंगे इन पांच ग्रहों को कोरी आँखों से

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समाचार सच, जयपुर (एजेंसी)। राजस्थान की राजधानी जयपुर से इस महीने में पांच प्रमुख ग्रहों शुक्र, बृहस्पति, शनि, मंगल एवं बुध को कोरी आंखों से निहारा जा सकेगा। जयपुर स्थित बी एम बिड़ला तारा घर के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि नवम्बर महीने में जयपुर शहर से इन ग्रहों के अवलोकन का अवसर बना है। शुक्र, बृहस्पति एवं शनि संध्याकाल में अपनी छटा बिखेर रहे हैं। मंगल माह के उत्तरार्द्ध में बुध को भोर में देखा जा सकता है। झिलमिलाते-टिमटिमाते सितारों के बीच इन्हीं पांच ग्रहों को कोरी आंखों से निहारा जा सकता हैं। अपनी जगह बदल रहे इन ग्रहों की चमक-दमक में दूरी के हिसाब से भी बदलाव होता रहता है। इस दौरान नियमित रूप से रात में आसमान पर नजर रखकर इन ग्रहों को देखा जा सकता है।

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भट्टाचार्य ने बताया कि सूर्य का नजदीकी चंचल बुध सबसे छोटा है। यह कुछ दिन शाम को तो कुछ दिन सुबह को आसमान में पाला बदलता रहता है। इसी बीच कुछ दिन सूर्य की प्रभा में भी छिपा रहता है। वक्री बुध चार को सूर्य की प्रभा में, ग्यारह को सूर्य के सामने से पारगमन, सोलह को सूर्य की प्रभा से बाहर एवं 28 नवम्बर को क्षितिज से अधिकतम ऊंचाई पर होगा। बीस नवम्बर से यह सीधी गति में है। आखिरी सप्ताह में, भोर में पूर्वी क्षितिज से लगभग 15 डिग्री ऊपर सुबह -सवेरे इसे ढूंढ़ा जा सकता है।

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उन्होंने बताया कि सबसे चमकदार ग्रह शुक्र ’सांझ का तारा’ बनकर पश्चिमी क्षितिज पर अपना जलवा बिखेर रहा है। शुक्र धीरे-धीरे दिन-प्रतिदिन ऊपर उठ रहा है जिससे इसे और ज्यादा देर तक देखा जा सकता है, सूर्यास्त होते ही पश्चिमी क्षितिज पर नजर उठाते ही इसे देखा जा सकता है। इसी तरह मंगल भोर में पूर्वी क्षितिज पर दिनोदिन ऊपर उठ रहा है। इस समय इसकी चमक ज्यादा नहीं है लेकिन गुलाबी रंगत में पूर्वी क्षितिज से लगभग पन्द्रह डिग्री ऊपर इसे पहचाना जा सकता है। तारों की झिलमिलाहट खत्म होने के पहले ही पूर्वी क्षितिज पर इसे निहारा जा सकता है। महीने के अन्त में मंगल के नीचे बुध को भी देखा जा सकता हैं।

उन्होंने बताया कि शुक्र, बृहस्पति और चन्द्रमा तीनों मिलकर सूर्यास्त के बाद 28 नवम्बर को पश्चिमी क्षितिज पर एक अनुपम नजारा पेश करेंगे। सफेद उज्ज्वल आभा में ग्रहराज बृहस्पति को आसानी से पहचाना जा सकेगा। शनि पश्चिमी क्षितिज की ओर बढ़ रहा है। बृहस्पति से पूर्व दिशा में एक चमकदार तारे जैसा नजर आ रहे शनि पर सुंदर वलय को छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है। चन्द्रमा दो एवं 29 को शनि, 24 को मंगल, 25 को बुध एवं 28 नवम्बर को शुक्र एवं बृहस्पति ग्रह के आस-पास रहेगा।

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उन्होंने बताया कि ग्यारह नवम्बर सोमवार के दिन शाम छह बजकर पांच मिनट से बुध पारगमन की खगोलीय घटना घटेगी। लगभग साढ़े पांच घण्टे तक चलने वाली यह घटना भारत भूमि से दिखाई नहीं देगी। इस घटना में सूर्य के सामने से बुध ग्रह गुजरेगा। सूर्य की छाती पर बुध यह एक काले तिल जैसा चलता हुआ नजर आयेगा। बुध पारगमन एक शताब्दी में 13-14 बार ही होता है। पिछली बार 2016 में इसे जयपुर से भी देखा गया था। अगली बार यह घटना अब वर्ष 2032 में होगी।

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