शरीर में अनचाही गांठों से हैं परेशान? कहीं ये लिपोमा तो नहीं… जानिए आयुर्वेदिक उपाय

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। गांठ रिश्तों में हो या फिर शरीर में दोनों को ही सेहत के लिहाज से ठीक नहीं माना जाता। रिश्तों में पड़ी गांठ सुकून छीन लेती है तो वहीं शरीर की गांठ से जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। अगर बात इंसानी शरीर में हो रहे छोटे-मोटे बदलाव की करें तो हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसे बदलाव बड़ी बीमारी का सिग्नल भी हो सकते हैं। यदि आपने नजरअंदाज किया तो आपकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। आपको बता दें कि यह गांठ आगे चलकर कैंसर आदि जानलेवा बीमारी का कारण बन सकती है।

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दरअसल स्किन के अंदर बनने वाल कुछ गांठों से तो मन में डर भी आता है कि कहीं ये गांठ कैंसर तो नहीं? कई बार ये गांठें कैंसरस भी होती हैं। लेकिन ऐसे मामले 1 प्रतिशत से भी कम हैं। ज्यादातर गांठें नॉर्मल फैट का गोला होती है यानि बिनाइन होती हैं। जिसमें न तो दर्द होता है और न ही ये फैलती हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़,ओबेसिटी,लेस फिजिकल ऐक्टिविटी गांठें बनने की बड़ी वजह हैं। लाइपोमा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

लाइपोमा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है लेकिन अच्छी बात ये है कि योगाभ्यास और आयुर्वेदिक उपचार से लाइपोमा की गांठें डिसोल्व हो सकती है। स्वामी रामदेव के अनुसार गांठ तक हमारे शरीर में बनती है जब बॉडी मेटाबॉलिज्म कम होता है। जिसके कारण फैट डिपोजिट हो जाता है और यहीं चर्बी शरीर में गांठ बन जाती है। कई बार ये गांठ एक ही जगह पर इकट्ठी हो जाती है या फिर शरीर के विभिन्न भागों में एकत्र हो जाती है। कई बार आगे चलकर ये गांठे कैंसर का कारण बन जाती है।

क्या है लिपोमा?

  • ये स्किन में होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है।
  • अमूमन शरीर की गांठ कैंसर में नहीं बदलते।
  • 1 फीसदी से भी कम केस में कैंसर होता है।

शरीर में गांठ की वजह क्या है?

  • डायबिटीज
  • फैमिली हिस्ट्री
  • मेटाबॉलिक
  • कोलेस्ट्रॉल

कहां-कहां होता है लिपोमा?

  • गर्दन
  • चेहरा
  • पीठ
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लिपोमा कैसे पहचानें?

  • गर्दन, कंधे, हाथ, कमर, पेट पर होती है।
  • गांठ में ज्यादा दर्द नहीं होता है।
  • नस पर दबाव से हल्का दर्द हो सकता है।
  • ज्यादातर 1.2 इंच से बड़ी नहीं होती। गांठ को अनदेखा न करें, डॉक्टर को दिखाएं
  • अगर उम्र 40 साल से ज्यादा है
  • अगर गांठ लगातार बढ़ रही है
  • गांठ 1.2 इंच से बड़ी है
  • अगर गांठ बहुत सख्त है
  • गांठ के साथ दूसरे लक्षण भी हैं

कैंसर क्या है?
स्वामी रामदेव के अनुसार जब आपका शरीर की कोशिकाओं का नियंत्रण हट गया तो वह कही न कही से बढ़ने लगती है जिसे कैंसर कहा जाता है। इस समस्या से हमेशा के लिए निजात पाना चाहते है तो योग करना बहुत ही जरूरी है।

कैसे होता है गांठ का टेस्ट

स्वामी रामदेव के अनुसार शरीर की बाहर की गांठों को तो आप आसानी से देख सकते हैं लेकिन शरीर के अंदर किडनी, फेफड़े, पेट आदि में पड़ी गांठो के लिए अलग-अलग टेस्ट होते है। जिसमें एक्स रे, एमआईआर, अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

शरीर की गांठ के लिए प्राणायाम

स्वामी रामदवे के अनुसार शरीर की अंदर पड़ी गांठों के लिए कोई योगाभ्यास फायदेमंद नहीं होगा। इसके लिए बस आप प्राणायाम करें।

सूर्य नमस्कार- इस प्राणायाम को करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। जिससे कैंसर की गांठ को पिघलने में मदद करता है। जिस तरह कैंसर के लिए कीमोथेरेपी दी जाती है वैसे ही सूर्य नमस्कार एक नैचुरल थेरेपी है। इसे करके आसानी से गांठों से निजात पाया जाता सकता है।

कपालभाति- इस प्राणायाम को 10 से 15 मिनट से शुरू करके आधा घंटा करें। इससे 1 माह के अंदर गांठ खत्म हो जाती है।

अनुलोम-विलोम- कपालभाति से आधा समय अनुलोम-विलोम करने से शरीर में एनर्जी का फ्लो बढ़ता है। जिससे गांठ को पिघलने में मदद मिलती है।

लिपोमा का औषधियों के द्वारा इलाज

  • रोजाना खाली पेट ताजी हल्दी खाएं।
  • खाली पेट 2 ग्राम हल्दी का पाउडर लें। इससे गांठ घुलने शुरू हो जाती है।
  • कचनार की पेड़ की छाल किसी भी प्रकार की गांठ के लिए लाभदायक है। इसके लिए 10-20 ग्राम छाल को 400 ग्राम पानी में पका लें। जब पानी 100 से 50 ग्राम रह जाए तो उसे छानकर पी लें।
  • अगर शरीर में बहुत अधिक गांठे है तो शिला सिंदूर 4 ग्राम, प्रभाल पिष्टी 10 ग्राम के साथ मोती और गिलोय मिलाकर सात पूड़िया बना लें। इसे सुबह-शाम खिलाएं। इससे 99 प्रतिशत तक गांठ से निजात मिल जाता है। एक से 3 माह में लाभ मिल जाता है।
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जिसको बार-बार गांठ हो जाती है वो करें ये काम

कई लोगों की समस्या होती है कि लिपोमा ऑपरेशन के बाद दोबारा हो जाती है। इसी क्रम को खत्म करने के लिए हमें अपनी एनर्जी को जगाना होगा। इसके लिए रोजाना कपालभाति, अनुलोम- विलोम करें।

गर्दन में पीठ की तरफ गांठ
कई लोगों को गर्दन में पीठ की तरफ गांठे हो जाती है। जिनमें दर्द नहीं होता है लेकिन इसके कारण गर्दन, सिरदर्द की समस्या है। ऐसे में स्वामी रामदेव का कहना है कि जब गर्दन में गांठ हो जाती है तो दिमाग के अंदर एनर्जी का फ्लो रूकेगा। जिसके कारण दिमाग में परेशानी होगी।

  • सुबह-शाम 2 ग्राम हल्दी का पाउडर लें। इसके अलावा कचनार लें।
  • कपालभाति और अनुलोम विलोम आधा-आधा घंटे सुबह-शाम करें।

बच्चें की गर्दन में गांठ
कई बच्चों की गर्दन में दोनों तरफ गांठ हो जाती है। जो छुने में दर्द नहीं होती हैं। यह कफ के कारण भी हो सकते हैं। इसके लिए बच्चों को घी देना बंद कर दें। इसके साथ ही लौ फैट दूध के साथ हल्दी डालकर दें। इससे 1 माह में लाभ मिल जाएगा।

  • कचनार 10 ग्राम, बहेड़ा और त्रिकूटा 20-20 ग्राम लेकर 1 ग्राम शहद के साथ चटा दें।
  • बच्चों को कपालभाति, अनुमोम विलोम के साथ उज्जयी प्राणायाम भी कराएं।

पेट में छोटी गांठ के लिए उपचार
अगर पेट में छोटी गांठ है तो उन लोगों को तुरंत ही थोड़े दिनों के लिए घी और दूध बंद कर देना चाहिए।

  • नियमित रूप से गौमुख अर्क पिएं।
  • कपालभाति, अनुलोम-विलोम के साथ रोजाना मंडुक आसन 1 मिनट करें।
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