38 में से दो दर्जन शिक्षकों पर दोबारा बर्खास्तगी की तलवार

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समाचार सच, हरिद्वार (एजेंसी)। फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी के चलते पहले बर्खास्त हो चुके 38 शिक्षकों में से दो दर्जन पर दोबारा बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। उच्च न्यायालय के आदेश पर इन शिक्षकों को दोबारा जांच में सुनवाई का अवसर दिया गया। फिर भी दो दर्जन शिक्षक दोबारा बर्खास्तगी की जद में हैं।

ज्ञात हो कि जिले में शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा एक दशक से चला आ रहा है। पिछले चार-पांच वर्षों में इनके प्रमाण पत्रों की जांच में आई तेजी के बाद तीन वर्षों में 38 शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है। अधिकांश पर प्राथमिकी भी संबंधित थानों में विभाग के अधिकारियों ने दर्ज करा दी थी, जो बाद में उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने विभागीय अधिकारियों को आदेश दिया कि नैसर्गिक न्याय सिद्धांतों का पालन करते हुए शिक्षकों का पक्ष सुना जाए। इसी क्रम में दोबारा विभाग ने उनका पक्ष सुनकर जांच पूरी कर ली है। इसके आधार पर दो दर्जन शिक्षक दोबारा बर्खास्तगी की जद में आ गए हैं।

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इन पर जल्द ही बर्खास्तगी की गाज गिर सकती है। एसआइटी ने जिले के 10 शिक्षकों के प्रमाण पत्र संदिग्ध मानते हुए उन्हें जांच के लिए तीन जनवरी को देहरादून एसआइटी कार्यालय में उपस्थित होने का नोटिस दिया था। इसके आधार पर निलंबित पांच शिक्षकों में से एक शिक्षक का निलंबन वापस हो सकता है। सीईओ ने 27 दिसंबर को इन शिक्षकों को नोटिस जारी कर सीईओ कार्यालय में अपने प्रमाण पत्र देने के साथ ही तीन जनवरी को एसआइटी के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था। इनमें से पांच ने न तो प्रमाण पत्र दिए और न ही उपस्थित हुए। जिन्हें सीईओ ने 10 जनवरी को निलंबित कर दिया था। इनमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय शेरपुर बेला ब्लॉक खानपुर के सहायक अध्यापक अशोक कुमार, लक्सर विकास खंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय नंदपुर के सहायक अध्यापक अनिल कुमार, राजकीय प्राथमिक विद्यालय खड़ंजा कुतुबपुर के सहायक अध्यापक सुशील कुमार, राजकीय प्राथमिक विद्यालय दरगाहपुर के सहायक अध्यापक राजबीर सिंह और राजकीय प्राथमिक विद्यालय करनपुर खानपुर विकासखंड भूपेंद्र सिंह शामिल थे।

सहायक अध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालय दरगाह के राजबीर सिंह ने निजी कारण बताते हुए बाद में प्रमाण पत्र जांच के लिए दे दिए। इसके चलते अब उनका निलंबन वापस होने की उम्मीद है। निलंबित पांच में से शेष चार शिक्षकों ने अपने विद्यालयों में अवकाश का आवेदन डालकर मोबाइल बंद कर लिया है। जांच में सहयोग न करने वाले इन शिक्षकों पर अब विभाग सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। मुख्य शिक्षाधिकारी का कहना है जिन चार शिक्षकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। उनको दोबारा नोटिस भेजा जा रहा है। यदि जवाब नहीं आया तो उन्हें बर्खास्त भी किया जा सकता है। मुख्य शिक्षाधिकारी डॉ. आनंद भारद्वाज का कहना है कि पूर्व में बर्खास्तगी के दायरे में आए 38 में से 25 शिक्षकों को हाईकोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच में पक्ष सुनने के बाद भी दोषी पाया गया है। वह जल्द दोबारा बर्खास्त होंगे। बताया कि पिछले दिनों निलंबित राजबीर ङ्क्षसह ने अब अपना प्रमाण पत्र देकर जांच में सहयोग का भरोसा दिया है। विचार के बाद उनका निलंबन जल्द वापस किया जा सकता है।

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