समाचार सच, देहरादून। उत्तराखंड में शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा है, जिसमें सहायक अध्यापक रामशब्द ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र के आधार पर 15 साल तक नौकरी की। जांच के बाद आरोपी को बर्खास्त कर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
रामशब्द को 2009 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के बीएड प्रमाणपत्र के आधार पर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति मिली थी। लेकिन जब उनके प्रमाणपत्र का सत्यापन किया गया, तो यह पाया गया कि प्रमाणपत्र का अनुक्रमांक 2005 में किसी छात्र को जारी ही नहीं किया गया था।
शिक्षा विभाग ने की विस्तृत जांच
-शिक्षा विभाग ने प्रमाणपत्र की सत्यता की पुष्टि के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से संपर्क किया।
-फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद आरोपी को नोटिस भेजा गया और कई बार अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया।
-रामशब्द सही जवाब देने में असफल रहे, जिससे उनकी फर्जी गतिविधियां साबित हो गईं।
कार्रवाई
शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने रामशब्द को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। साथ ही, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भी दिया गया है।
शिक्षा विभाग की सख्ती
यह मामला उत्तराखंड के शिक्षा क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है। विभाग ने ऐसे मामलों पर सख्त कदम उठाने और अन्य कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच तेज करने का निर्णय लिया है।
सवालों के घेरे में भर्ती प्रक्रिया
यह फर्जीवाड़ा न केवल रामशब्द के व्यक्तिगत चरित्र पर सवाल खड़े करता है, बल्कि शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। विभाग अब ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहा है।


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