समाचार सच, नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से निर्देश दिया है कि वह 7 नवंबर को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस वर्मा की आरक्षण संबंधी रिपोर्ट लिखित रूप में प्रस्तुत करे।
बुधवार, 6 नवंबर को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि निकायों में आरक्षण तय करने के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस वर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट अब शासन को प्राप्त हो चुकी है। राज्य सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर नया विधेयक लाने की तैयारी में है। कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में पूरी जानकारी लिखित रूप में पेश करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि राज्य सरकार 2011 की जनगणना के अनुसार निकायों में आरक्षण निर्धारित कर रही है। 2018 के निकाय चुनाव इसी आधार पर कराए गए थे। वर्तमान में प्रदेश के मैदानी इलाकों में ओबीसी का जनसंख्या अनुपात बढ़ा है, इसलिए ओबीसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए।
सरकार की ओर से बताया गया कि आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है और आपत्तियों का निस्तारण किया जा चुका है। इस जनहित याचिका को रुद्रपुर निवासी रिजवान अंसारी ने दायर किया है।
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