रामनगर, धूमाकोट, सितारगंज व धारचूला की गलियों में घूमे दिग्गज
समाचार सच (धीरज भट्ट) हल्द्वानी। रामनगर, धूमाकोट, सितारगंज व धारचूला में क्या समानता हो सकती है। हालाकि ये उत्तराखंड में अलग-अलग स्थानों में बसे हैं। इनमें समानता इस बात है कि यहां से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने विधायक बनने के लिए यहां से चुनाव लड़ा था। अहम बात ये है कि ये चारों सीएम बनने के दौरान सांसद थे और सीएम बनने के बाद उनको विधानसभा में एंट्री मारने के लिए एक अद्द सुरक्षित सीट की तलाश थी। 2002 से लेकर 2014 तक राज्य में यही समीकरण ने काम किया। इधर 2017 के बाद से अब तक इस परंपरा पर फिलहाल काम बंद है। ज्ञात हो कि उत्तराखंड में पहले विधानसभा के चुनाव 2002 में हुए थे और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। कांग्रेस ने सीएम के रूप में नारायण दत्त तिवारी का चुना और वे उस समय नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद थे। इधर तिवारी के सीएम बनने के बाद उनके लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश हुई और इसके लिए आसपास की सीटंे तलाशी गयी और तिवारी के लिए आखिरकार सीट रामनगर में तलाशी गयी। यहां से तत्कालीन विधायक योगंबर सिंह रावत को वन निगम में दर्जा राज्यमंत्री का पद देकर एडजस्ट किया गया। रामनगर मंे हुए उपचुनाव मंे नारायण दत्त तिवारी को 32913 व भाजपा के उम्मीदवार एडवोकेट राम सिंह को 9693 मत ही प्राप्त हुए। यही कहानी 2007 में एक बार फिर से दोहरायी गयी। इस बार भाजपा को राज्य में सरकार बनाने का मौका मिला। सीएम के रूप में पौड़ी के तत्कालीन सांसद भुवन चन्द्र खंडूरी को मौका मिला। सीएम बनने के लिए उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश हुई। इस बार भाजपा ने कांग्रेस में सेंध लगाकर तत्कालीन धुमाकोट के कांग्रेसी विधायक टीपीएस रावत को सीट खाली करने के लिए मना लिया। हालाकि इसके बदले में उनको पौड़ी से ससंद का चुनाव लड़ने का आफर मिला। इस चुनाव में भुवन चन्द्र खंडूरी ने कांग्रेसी दिग्गज सुरेन्द्र सिंह नेगी को हराया। खंडूरी को 22708 और सुरेन्द्र सिंह नेगी को 8537 मत मिले। 2012 में तीसरे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को एक सीट अधिक मिलने पर पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिला। इस बार तत्कालीन टिहरी के सांसद विजय बहुगुणा को सीएम बनने का मौका मिला। उनके लिए सीएम बनने के लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश हुई तो कांग्रेस ने जैसे को तैसा वाला सिद्वान्त अपनताते हुए सितारगंज के विधायक किरण मंडल को सीट खाली करने के लिए मना लिया। यहां से विजय बहुगणा ने भाजपा नेता प्रकाश पंत को बंपर मतों से हरा दिया। बहुगुणा को 53766 और प्रकाश पंत को 13812 मत मिले। 2014 में सीएम के रूप में एक बार फिर से तत्कालीन हरिद्वार के सांसद हरीश रावत को यहां की कमान सौंपी। हरीश रावत के लिए विधानसभा सीट की तलाश हुई तो उनके लिए धारचूला में विधानसभा की सीट चुनी गयी। यहां के तत्कालीन विधायक हरीश धामी को एडजस्ट किया गया और यहां से चुनाव में हरीश रावत को 32214 और भाजपा के बीडी जोशी को 10610 मत मिले।
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