समाचार सच, अध्यात्म डेस्क। शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व होली के बाद मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं प्रातः उठकर शीतला माता के मंदिर में जाकर बासी भोजन का भोग लगाती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्यता की कामना करती हैं।
इस दिन विशेष रूप से इन चीजों का भोग लगाया जाता है
गुड़, चूरमा, बासी पूड़ी, बाजरे की रोटी, कढ़ी
बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है?
गर्मी और शीतलता का संतुलन
होली का त्योहार गर्मी का प्रतीक होता है, जबकि शीतला माता को शीतलता का प्रतीक माना जाता है। बासी भोजन ठंडा होता है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है और संतुलन बनाए रखता है।
संक्रामक रोगों से बचाव
प्राचीन काल में चेचक और खसरा जैसी बीमारियां अधिक फैलती थीं। मान्यता है कि शीतला माता इन रोगों से रक्षा करती हैं। इस दिन खाना न पकाने की परंपरा इसलिए भी है ताकि भोजन में धूल-मिट्टी और संक्रमण न लगे।
धैर्य और शांति का संदेश
धार्मिक मान्यता के अनुसार, होली पर ताजा खाना और शीतला सप्तमी पर बासी खाना अर्पित किया जाता है। इससे यह संदेश मिलता है कि जीवन में धैर्य और शीतलता रखना आवश्यक है।
क्या बासी खाना सेहत के लिए फायदेमंद है?
बासी खाने को लेकर अलग-अलग धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे हानिकारक मानते हैं, जबकि कुछ इसे पाचन तंत्र के लिए लाभकारी मानते हैं।
बासी खाने के फायदे
पाचन में सहायक
बासी खाना ठंडा होता है, जिससे पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता।
प्रोबायोटिक्स से भरपूर
बासी चावल और दही में प्राकृतिक रूप से प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
ऊर्जा का स्रोत
बासी भोजन में कुछ पोषक तत्व बने रहते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
कैसे खाएं बासी खाना सुरक्षित रूप से?
- बासी खाना खाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसे सही तरीके से संग्रहित किया गया हो।
- ज्यादा तेल-मसाले वाले बासी खाने से बचें।
- फ्रिज में रखे भोजन को गर्म करने के बाद ही खाएं।
निष्कर्ष
शीतला सप्तमी-अष्टमी का पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि स्वस्थ जीवन शैली का संदेश भी देता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक प्रदान करने और पाचन प्रक्रिया को सुधारने में सहायक है। हालांकि, सेहत को ध्यान में रखते हुए बासी खाने को सही तरीके से संग्रहित और ग्रहण करने की सलाह दी जाती है।


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