सौंफ में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण व फाइबर के कारण पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है

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समाचार सच, स्वास्थ्य डेस्क। सौंफ की बात आते ही मुझे अपना बचपन याद आ जाता है। रंग-बिरंगे सौंफ के दानों को मुट्ठी में भरकर हम सब खूब स्वाद ले लेकर खाते थे। सबसे अच्छी बात तो यह है कि यह एक ऐसा मसाला है जिसके बारे में बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी जानते हैं। शुगर कोटेड रंग- बिरंगी सौंफ बच्चों की पसंदीदा है, तो सफेद चीनी से कोटेड सौंफ बड़ों की। सौंफ सिर्फ एक माउथ फ्रेशनर ही नहीं बल्कि भारतीय रसोई के मसालेदान का एक जरूरी मसाला भी है। इसके इस्तेमाल से किसी भी भोजन का स्वाद लाजवाब हो जाता है। साथ ही इसकी मुख्य विशेषता यह भी है कि सिर्फ शाकाहारी ही नहीं बल्कि मांसाहारी भोजन में भी इसका उपयोग होता है। सौंफ का ना सिर्फ स्वाद बेहतरीन होता है बल्कि यह पौष्टिक तत्वों से भी भरपूर होता है। कॉपर, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व इसमें प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है, तभी तो इसका सेवन गर्मी के कहर से बचाने में काफी मददगार होता है। सौंफ में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण व फाइबर के कारण गर्मियों में होने वाली पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।

तरह-तरह के सौंफ
आमतौर पर सौंफ दो प्रकार की होती है, एक मोटी सौंफ, जिसका इस्तेमाल सब्जी, अचार और भरवां सब्जियों को बनाने में किया जाता है। दूसरी सौंफ बारीक होती है। इसे मीठी सौंफ के नाम से भी जाना जाता है। इसे खाने के बाद सर्व किया जाता है। पान में भी मीठी सौंफ ही डाली जाती है।

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सौंफ का इस्तेमाल भोजन पकाते समय मैं खूब करती हूं क्योंकि यह स्वाद का तड़का लगाने के साथ-साथ खाना पचाने में भी सहायक होती है। मैं सौंफ का इस्तेमाल तीन तरीके से करती हूं। एक- साबुत सौंफ, दूसरा -अधकुटी सौंफ और तीसरा- बारीक पाउडर के रूप में। अपने खानपान में सौंफ का कैसे करें शामिल, आइए जानें


तड़का लगाने में
मूंग दाल में जीरे, हींग के साथ-साथ तड़के में साबुत सौंफ डालती हूं। इससे दाल का स्वाद बहुत अच्छा हो जाता है। इसके अलावा कच्चे सीताफल की सब्जी बनाते समय हींग,जीरे और मेथी दाने के साथ-साथ कुटी सौंफ भी डालती हूं। सब्जी का स्वाद बहुत बढ़िया हो जाता है। इसी तरह कई अन्य सब्जियों में तड़का लगाने में सौंफ का इस्तेमाल अच्छा रहता है।

डिटॉक्स वॉटर के रूप में
एक चम्मच सौंफ के दानों को एक गिलास गरम पानी में रात भर भिगोएं। सुबह छानकर थोड़ा सा नीबू का रस, काला नमक, भुना जीरा डालकर पिएं। यह सेहत के लिए अच्छा है। मोटापा भी कम होता है, साथ ही पेट की चर्बी भी।

सौंफ वाली चाय
अगर आपको चाय पीना बहुत पसंद है, तो गर्मी के मौसम में चाय बनाते समय मिश्री, चाय की पत्ती और सौंफ का पाउडर डालकर चाय बनाएं। चाहे तो दूध भी डालें। स्वाद के साथ सेहत भी अच्छी रहेगी। मैं तो चाय के मसाले में सौंफ भी डालती हूं। इससे चाय में अच्छा स्वाद आता है।

मीठी चीजों में
सौंफ एक ऐसा मसाला है जिसे न सिर्फ नमकीन चीजों में प्रयोग में लाया जाता है बल्कि मीठी चीजों में भी इसका उपयोग अच्छा रहता है। मसलन मलपुआ बनाते समय घोल में नारियल पाउडर ,काजू आदि के साथ-साथ थोड़ा सा सौंफ पाउडर डालें और देखें कमाल। लोग वाह-वाह करके खाएंगे।

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सौंफ वाला दूध और रसमलाई
रोज-रोज सादा दूध पीने से बोरियत हो तो एक गिलास दूध को उबालते समय उसमें एक चम्मच सौंफ पाउडर डालें और दूध को दो-तीन मिनट उबालें। छानकर पी लें,अलग-सा स्वाद आएगा। इसके अलावा रसमलाई के लिए दूध को उबालते समय उसमें भी थोड़ा सा सौंफ पाउडर डाल दें। अच्छा स्वाद आएगा और यह पाचक भी होगा।

भरवां सब्जी बनाते समय
भरवां करेला, परवल , आलू , भिंडी बनाते समय सभी मसालों के साथ-साथ थोड़ा सा सौंफ पाउडर भी डालें। इससे सब्जियों का जायका बढ़ जाता है।

माउथ फ्रेशनर के रूप
मैं मीठे सौंफ के दानों को हल्का भूनती हूं। साथ ही धनिए के बीजों को और छोटी इलायची के कुछ बीजों को अलग-अलग भूनती हूं। इनको ठंडा करके इसमें मिश्री के टुकड़े मिला देती हूं और एक एयरटाइट डिब्बे में रखती हूं। यह एक अच्छा माउथ फ्रेशनर है। इसके अलावा कच्ची पक्की सौंफ का पाउडर बना लेती हूं। इसके लिए मोटी सौंफ, बारीक सौंफ को बहुत ही धीमी गैस पर 5 मिनट भूनती हूं । फिर इसमें बिना भूने हुए मीठी कच्ची सौंफ और मिलाती हूं। जब रात में गरिष्ठ भोजन हो जाता है तो एक चम्मच यह पाउडर खाकर पानी पीती हूं। खाना पचाने में बड़ी मदद मिलती है।

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