‘‘पर्वत सपूत सुमित्रानन्दन तुमको शत बार नमन’’

उत्तर दिशि कुर्मांचल के धवल हिम पर्वत चरणबसा ग्राम शैलानी नाम कौसानी बुरांश बाँज के काननमई उन्नीस सौ ईस्वी में फूटी यहाँ एक उजली किरनजिसकी आमा से आलोकित हुआ हिन्दी साहित्य नवसर्जनपिता गंगादत्त के घर जन्मे उनके चौथे पुत्र रतनमाँ…

‘यौं पहाड़ स्वर्ग समान छन ‘

( छंद – हरिगीतिका )लिपि थैंसिया आँङण मेंजी बिसावा भरी नौं धान छन।बिसाई गागरि खुटकौंण में देइ ऐंपण के बाँन छन ।।दन्यारी मुणी घोलों बटी प्वाथ और घिनीड़ चुचान छन।।बाड़ में बोई लाइ मूँ थणी मुणि में पिरुवा का टाँन…

कोराना आया है

जनमानस के जीवन पर एक खतरा मंडराया हैकहते हैं दूर चीन से कोरोना आया है। है सुना की पैथोजन है संकट में अब जन जन है जीवन से खेल रहा है सांसों मे फैल रहा है पश्चिमी संस्कृति को जिसने…

काव्य : वहशी दरिंदों का संहार हो गया

अगर जो हो सके मुमकिन तो आकर देख ले बिटिया,जो आँखें थीं उठी तुझ पर वे आँखें हो गयीं बाहर !!गुनहगारों को हुई फांसी। देर से ही सही पर एक उम्मीद तो जागी। देश का कानून बदल रहा है मतलब…

रण-भूमि

भारत माँ के वीर सिपाही, कूद पड़े रण मतवाले। रखते हैं अनुराग अलौकिक, मातृभूमि के रखवाले। गरज उठे हैं धीर प्रतापी, दुश्मन का दिल दहलाने। माँ चंडिका खप्पर लेकर, दौड़ पड़ी पथ दिखलाने। हाय-हाय मच गई शत्रु में, वीरों के…

मी एक दिन ज़रूर लौट बे औला…

ओ मेरा दाज्यू ओ मेरा भुला, छुट गौ मेरा जो छुट गो मेरा दुन सोला। अरे छुट गो मेरा बचपन, छुट गो माल गोट,छुट गो मेरा छान। छुट गो मेरा मिर्चा बाड़,छुट गईं किलमोरा जाड़। छुट गो मेरा पहाड़ी आलू,छुट…

मर्दस-डे पर विशेष…..

माँ माँ! एक शब्द नहीं, उसमें पूर्ण ब्रम्हांड समाहित है, आलोकित गगन, पल्लवित धरा, प्राकृतिक सौन्दर्यबोधता की आभा, ममता की मूरत, शक्ति की दात्री, परिलक्षिता, कष्टनिवारणी, इन सबसे वो परिपूर्ण है, फिर भी आज का मानव, हो रहा माँ से…