‘यौं पहाड़ स्वर्ग समान छन ‘

खबर शेयर करें

( छंद – हरिगीतिका )
लिपि थैंसिया आँङण मेंजी बिसावा भरी नौं धान छन।
बिसाई गागरि खुटकौंण में देइ ऐंपण के बाँन छन ।।
दन्यारी मुणी घोलों बटी प्वाथ और घिनीड़ चुचान छन।।
बाड़ में बोई लाइ मूँ थणी मुणि में पिरुवा का टाँन छन।
धुरि में धरी गदुवा पिङाव् जाव् में खोसी बि नमान छन।।
जू हौव कर्याठी में धरी म्वय दन्याव खेति क् सामान छन।।
सबेली बौंहौंल् नैहड़ चापार फ़ाव् और जत्यूड़ तान छ्न।।
ज्याड़ बल्द आँङण का मुणी गोरु दगाड़ भैंस डुकान छन।।
स्यारी में टिट्याँ बुज में तितुर घुघुता सिटाव उड़ान छ्न।।
हरिया स्यारी दैंणाँ पिङइ पाणी भरि नौव छ्लछलान छन।।
हरिया डाँनाँ सुन्दर कदुग यौं पहाड़ स्वर्ग समान छन।।
माइलो मन निश्छल पराणि मनख्योव की पछ्रपाँण छ्न।।
…………………………………………………………….

मोहन जोशी, गरुड़, बागेश्वर, उत्तराखण्ड।

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

👉 फेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज़ लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल सबस्क्राइब करें

हमसे संपर्क करने/विज्ञापन देने हेतु संपर्क करें - +91 70170 85440